बगैर उम्मीद के रिश्ते
रिश्ते अगर उम्मीदों के बोझ से मुक्त हों,
तो उनमें सुकून की ठंडी हवा बहती है।
न कोई शिकायत, न कोई गिला,
सिर्फ अपनापन ही अपनी जगह कहती है।
बगैर उम्मीद के रिश्ता एक आईना होता है,
जो जैसा है वैसा ही सच्चा दिखता है।
ना कोई मुखौटा, ना कोई बनावट,
सिर्फ दिल का साफ़पन झलकता है।
जहाँ चाहत बिना शर्त के मिलती हो,
वहाँ भरोसा अपना घर बनाता है।
न देने की चिंता, न पाने की चाह,
बस जुड़ाव ही जीवन सजाता है।
ऐसे रिश्तों में चुप्पी भी मीठी लगती है,
और खामोशी भी गीत सुनाती है।
क्योंकि जब दिल बिना उम्मीदों के जुड़ते हैं,
तो मोहब्बत अपने असली रूप में मुस्कुराती हैं l
DB-ARYMOULIK