💔 ग़ज़ल: तेरा ख़याल... ✨
– by Amreen Khan
तेरा ख़याल जब आया, बहार लगने लगी,
उदास रूह में जैसे बहार बसने लगी।
तेरी नज़र की चमक अब भी रौशनी बनके,
मेरे ख़याल की हर शाम सजने लगी।
कभी जो तेरी हँसी छू के मुझको गुज़री थी,
वो ख़ुशबुएँ मेरी सांसों में रहने लगी।
तेरे बिना भी कोई कमी नहीं थी मगर,
तेरी कमी से ही दुनिया सँवरने लगी।
हर एक धड़कन में तेरा ही नाम सुनाई दे,
तेरा ख़याल भी अब इबादत बनने लगी।
मैं अपने अश्क़ छुपाऊँ कहाँ, बता मुझको,
तेरी जुदाई भी अब शायरी बनने लगी।
वो चाँद रातों में तेरी सूरत उभरती है,
ये आँख तुझसे मिलने को तरसने लगी।
तेरा ख़याल, तेरा नाम, तेरी यादें सब,
मेरे वजूद में जैसे उतरने लगी।
✨✨✨✨✨✨🍀💫💕