शहर के शोर-शराबे से बहुत दूर, एक शांत और आधुनिक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स की नौवीं मंजिल पर, छाया ने अपनी ज़िंदगी की एक नई पारी शुरू की थी. कंक्रीट के इस जंगल में, उसका नया 2BHK फ्लैट था। पिछले कुछ महीनों का अथाह तनाव, अपने पूर्व-प्रेमी, रोहित के साथ का कड़वा ब्रेकअप, और फिर पुरानी यादों से भरे घर को छोड़कर आना – इन सब के बाद उसे यह सुकून और शांति बेहद ज़रूरी लगी थी. उसने अपनी छोटी सी बालकनी को कुछ रंगीन गमलों से सजाया था, जहाँ से सुबह की पहली किरणें और शाम की मंद धूप उसके मन को एक अजीब सी ठंडक और शांति पहुँचाती थी. ये पल उसके लिए थे, जब वह खुद को इस दुनिया की उलझनों से दूर पाती थी.
छाया भ्रम या जाल - भाग 1
छाया: भ्रम या जाल? भाग 1शहर के शोर-शराबे से बहुत दूर, एक शांत और आधुनिक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स की नौवीं पर, छाया ने अपनी ज़िंदगी की एक नई पारी शुरू की थी. कंक्रीट के इस जंगल में, उसका नया 2BHK फ्लैट था। पिछले कुछ महीनों का अथाह तनाव, अपने पूर्व-प्रेमी, रोहित के साथ का कड़वा ब्रेकअप, और फिर पुरानी यादों से भरे घर को छोड़कर आना – इन सब के बाद उसे यह सुकून और शांति बेहद ज़रूरी लगी थी. उसने अपनी छोटी सी बालकनी को कुछ रंगीन गमलों से सजाया था, जहाँ से सुबह की पहली किरणें और शाम ...Read More