त्रिशा...

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यह शब्द सुना तो बहुत था, बचपन में इस पर निबंध भी बहुत लिखे थे पर मेरे लिए यह शब्द तब तक अस्तित्व में नहीं था जब तक की मुझे मेरी सहेली ने इसका असल अर्थ समझाया नहीं था। मेरे पिताजी श्रीमान कल्पेश सिंह भदौरिया एक व्यापारी है, जिनकी खुद की एक बहुत बड़ी सी साड़ियों और लहंगों की दुकान है कानपुर में।‌समाज में बड़ा ही नाम और सम्मान कमाया है उन्होनें। मेरी माताजी श्रीमती कल्पना कल्पेश सिंह भदौरिया एक गृहणी है। और मैं हूं इन दोनों की एकमात्र संतान, इनकी एकलौती बेटी त्रिशा और यह है मेरी कहानी। वैसे तो‌ मैं एकलौती हूं पर मेरा एक गोद लिया हुआ भाई भी है‌। जिसका नाम है तन्मय। तन्मय यूं तो मेरे सगे मामा का बेटा है किंतु उसके जन्म के समय पर ही मम्मी पापा ने उसे गोद ले लिया था। और तब से वह हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। तन्मय यह बात जानता है और अब समझता भी है और उसे कोई परेशानी भी नहीं है इस बात को स्वीकार करने में।

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त्रिशा... - 1

"आत्मनिर्भर"यह शब्द सुना तो बहुत था, बचपन में इस पर निबंध भी बहुत लिखे थे पर मेरे लिए यह तब तक अस्तित्व में नहीं था जब तक की मुझे मेरी सहेली ने इसका असल अर्थ समझाया नहीं था।मेरे पिताजी श्रीमान कल्पेश सिंह भदौरिया एक व्यापारी है, जिनकी खुद की एक बहुत बड़ी सी साड़ियों और लहंगों की दुकान है कानपुर में।‌समाज में बड़ा ही नाम और सम्मान कमाया है उन्होनें। मेरी माताजी श्रीमती कल्पना कल्पेश सिंह भदौरिया एक गृहणी है।और मैं हूं इन दोनों की एकमात्र संतान, इनकी एकलौती बेटी त्रिशा और यह है मेरी कहानी। वैसे तो‌ मैं ...Read More

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त्रिशा... - 2

23साल पहले......शहर: कानपुरसमय: दिन के 9.45श्रीमान कल्पेश सिंह भदौरिया के घर अभी अभी एक नन्हीं सी परी ने जन्म है। वह‌ उस समय अपने माता - पिता की पहली संतान है। इसलिए उनकी खुशी सातवें आसमान पर है। और हो भी क्यों ना आखिरकार पिता बनने का सुख होता ही ऐसा है कि अंग अंग प्रफुल्लित कर देता है‌।एक साल पहले ही कल्पेश सिंह की शादी उनके पिताजी के खराब स्वास्थय को देखते हुए बड़े ही जल्दबाजी में पास के गांव में रहने वाले उनके मित्र की बेटी से करवाई गई थी।शादी के समय वह इसके लिए तैयार ना ...Read More

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त्रिशा... - 3

अपने आपको मिली पुश्तैनी जमीन के कुछ हिस्से को बेच व बंटवारे में मिले गहनों को गिरवी रख कल्पेश ने कुछ पैसों का इंतजाम किया और फिर शहर की सबसे व्यस्त मार्केट में एक दुकान किराय पर लेकर उसकेसाड़ियों का व्यापार शुरु किया।लगभग छः साल तक उन्होनें अपनी दुकान में बहुत कड़ी मेहनत करी। इधर उधर से लोगों से मिलकर नए नए तरह की डिजाईन वाली साड़ियों को अपनी दुकान पर लाए। दुकान अच्छे से चले इसलिए वहां पर हर प्रकार की साड़ी रखने की जरूरत थी और इसी जरूरत को पूरी करने के लिए उन्हें इधर उधर से ...Read More