भाग 5: "जिसे मिटाया गया, वो अब मिटाएगा"
(जहाँ मौत सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक हथियार बन जाती है)
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📍 स्थान: नासिक - अनन्या का घर, मुंबई का अंडरग्राउंड सेफहाउस, दिल्ली के सत्ता गलियारे
📅 तारीख: 17 फरवरी 2031
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⏳ पिछले भाग की स्मृति:
आरव, PROJECT RAAHAT का सबसे बड़ा राज़, CID लॉकअप में ब्लास्ट के बाद “मृत” घोषित।
अनन्या को अपने अतीत का सच पता चलता है - 1999 के पुणे बाल आश्रम की आग, जिसमें सिर्फ दो बच्चे बचे थे - वही दो, जिन्हें बाद में PROJECT RAAHAT के तहत नई पहचान दी गई।
पर नामों के साथ भी खेल हुआ था - आर्या मोहिते और अनया भोसले - दोनों के नाम बदलकर आरव मोहिते और अनन्या देशमुख रखे गए, ताकि कोई उनके असली अतीत को न जोड़ पाए।
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🌑 मौत की अफवाह, जिंदगी की साज़िश
CID लॉकअप ब्लास्ट की खबर पूरे देश में फैल चुकी थी।
मीडिया बार-बार चिल्ला रहा था:
> "मुख्य आरोपी आरव मोहिते की मौत की पुष्टि नहीं, पर ब्लास्ट में शव मिलने की संभावना।"
अनन्या टीवी की स्क्रीन को देखती रही… लेकिन उसके दिल की धड़कन कह रही थी - वो मरा नहीं है।
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📂 सच के धागे जोड़ना
वो सीधा अपने लैपटॉप पर बैठी और PROJECT RAAHAT की स्कैन की हुई फाइलें दोबारा पढ़ने लगी।
एक लाइन बार-बार उसकी नज़र में चुभ रही थी:
> “SUBJECT-03: Arya Mohite (Male), SUBJECT-04: Anaya Bhosale (Female) - Assigned New Identities Post-2001.”
यानी असली नाम आर्या और अनया थे…
पर बाद में उन्हें आरव मोहिते और अनन्या देशमुख के रूप में पाला गया।
और ये नाम बदलने का काम सिर्फ सरकार ने नहीं, बल्कि उस नेटवर्क ने किया था जो सत्ता, सेना और मीडिया को एक साथ कंट्रोल करता है।
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🔍 नई शख्सियत की एंट्री - कैप्टन विराट राठौड़
अनन्या को एक गुमनाम ईमेल मिला:
"अगर आरव जिंदा है, तो वो मेरे पास है। - V.R."
वो तुरंत ईमेल के IP को ट्रेस करती है और मुंबई की एक पुरानी फैक्ट्री के पते पर पहुँचती है।
वहाँ उसका सामना हुआ एक लंबे, चौड़े, तीखी आँखों वाले आदमी से - कैप्टन विराट राठौड़।
वो एक एक्स-इंटेलिजेंस ऑफिसर था, जिसने 10 साल पहले सेना छोड़ दी थी क्योंकि उसने PROJECT RAAHAT जैसी गुप्त योजनाओं के खिलाफ बगावत की थी।
विराट ने सीधा कहा -
> “तुम सोचती हो ब्लास्ट में आरव मर गया? नहीं… उसे हमने निकाला। क्योंकि अगर वो मर जाता, तो इस खेल का अंत हो जाता। और मैं चाहता हूँ कि ये खेल खत्म हो - जीत के साथ।”
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🩸 आरव की वापसी - लेकिन बदला हुआ
फैक्ट्री के अंदर, अंधेरे कमरे में, कुर्सी पर बैठा एक शख्स - उसके चेहरे पर चोट के निशान, आँखों में एक अलग आग…
ये वही आरव था, पर अब वो पहले वाला मासूम लड़का नहीं था।
आरव ने अनन्या को देखा, लेकिन उसकी मुस्कान गायब थी।
> “मैंने मरने का नाटक किया… ताकि वो मुझे छोड़ दें। लेकिन अब मैं वापस आया हूँ - सब कुछ खत्म करने के लिए।”
अनन्या ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा -
> “खत्म? किसे?”
आरव:
> “जिसने हमें मिटाया… जिसने हमारे नाम बदले… जिसने 18 बच्चों को जला दिया और बाकी को मोहरा बना दिया। अगर उसे रोकना है, तो मुझे वो बनना होगा जिससे वो डरते हैं।”
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⚔ सत्ता का असली चेहरा
विराट ने एक फोटो टेबल पर फेंकी -
एक सूट पहने, सफेद बालों वाला नेता… श्रीकांत देशमुख, अनन्या के पिता का राजनीतिक गुरु, और वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्री।
> “यही है 1999 की आग का मास्टरमाइंड। और तुम्हारे पिता की राजनीति यहीं से शुरू हुई थी।”
अनन्या के पैरों तले जमीन खिसक गई -
> “मतलब… मेरा परिवार…”
आरव:
> “तेरा परिवार नहीं… उनका बनाया हुआ झूठ।”
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🔥 आरव का फैसला - और अनन्या की कसौटी
आरव ने साफ कहा -
> “मैं उसे खत्म कर दूँगा… चाहे उसके लिए मुझे खुद गुनहगार क्यों न बनना पड़े।”
अनन्या ने चुपचाप उसकी ओर देखा -
> “और अगर तुम्हें रोकना पड़ा तो?”
आरव:
> “तो रोक लेना… लेकिन याद रखना, अगर वो जिंदा रहा, तो हमारी अगली पीढ़ी भी राख में जिएगी।”
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📉 भाग 5 का अंत - खेल का पहला वार
दिल्ली में, गृह मंत्री श्रीकांत देशमुख एक चुनावी रैली में भाषण दे रहे थे।
उसी वक्त, उनके मोबाइल पर एक वीडियो आया -
आरव, कैमरे के सामने, एक मास्क पहने, कह रहा था:
> “तुमने हमें मिटाने की कोशिश की… अब हम तुम्हें मिटाएँगे।
काउंटडाउन शुरू हो चुका है।”
वीडियो के अंत में, एक पुरानी जलती हुई आश्रम की तस्वीर - और नीचे लिखा:
> ‘फिर से आग लगेगी… इस बार राख सिर्फ तुम्हारी होगी।’
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🔜 अगला भाग (Part 6): “जब प्यार और जंग टकराएँ”
> अब आरव का मिशन सिर्फ बदला नहीं, बल्कि एक क्रांति है।
अनन्या को तय करना होगा - वो आरव की ढाल बनेगी, या उसकी राह में खड़ी दीवार।
Part 5 — जल्द ही…