🌙 एपिसोड 4 : "अतीत की परछाईयाँ"
🌫️ रहस्यमयी सुबह
अगली सुबह की हल्की रोशनी धीरे-धीरे अनाया के कमरे में फैल रही थी।
वो खिड़की से बाहर देख रही थी। उसकी आँखें दूर तक बिखरी मुंबई की चमकती रोशनी में खोई थीं।
लेकिन दिल के अंदर एक हल्की बेचैनी का अहसास था, जो उसे चैन से बैठने नहीं दे रहा था।
उसके हाथ में वह पुरानी डायरी थी, जिसे उसने पिछले रात से खोल रखा था।
पृष्ठ पलटते हुए उसके हाथ रुक गए। एक नया पन्ना खुला — खाली…
पर उसके नीचे एक धुंधली लिखावट उभरने लगी — जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसे लिखने को कह रही हो।
"सिर्फ सच को देखो…
वरना अतीत तुम्हें खा जाएगा।"
अनाया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
“ये… ये चिट्ठी फिर से क्यों दिख रही है?” उसने खुद से पूछा।
🕵️♂️ आर्यन का नया इशारा
वहीं दूसरी ओर, आर्यन अपने ऑफिस में बैठा था। उसकी निगाहें अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर नहीं थीं, बल्कि उस धुंधली तस्वीर पर टिक गई थीं, जो उसे सपना में दिखी थी।
विवान का नाम अचानक उसके दिमाग़ में आया।
“विवान… क्या उसकी भी इस पूरे खेल में कोई भूमिका है?”
आर्यन ने फोन उठाया और बिना शब्द बोले केवल एक नंबर डायल किया।
फोन की दूसरी ओर एक गहरी आवाज़ गूँजी —
“आर्यन सर… आपकी बात का इंतज़ार था।”
“मुझे वो सब बताओ जो तुमने रूहानी और अनाया के बारे में जाना है।” आर्यन की आवाज़ में छुपा हुआ खतरा साफ़ झलक रहा था।
“विवान बहुत कुछ छुपा रहा है,” जवाब मिला।
आर्यन की आँखें धधक उठीं।
“मुझे सब कुछ चाहिए। बिना छुपाए।”
🌺 रूहानी की उलझन
कॉलेज की लाइब्रेरी में रूहानी किताबों के बीच खुद को छुपा बैठी थी।
विवान का चेहरा लगातार उसके सामने आ रहा था।
वो चुपके से अपने नोटबुक में कुछ लिखने लगी —
"विवान की बातें… वे मेरे दिल की गहराईयों को छूती हैं, पर क्यों मैं उसे एक झूठा मानती जा रही हूँ?"
वह अचानक पास वाली बेंच पर रखा एक पुराना फ़ोटो एल्बम खोलने लगी।
वही तस्वीर सामने आयी —
विवान, एक अनजानी औरत, और एक बच्ची की तस्वीर।
बच्ची की आँखें… हूबहू उसकी अपनी।
रूहानी का दिल कांप उठा।
“क्या मैं इसी परिवार से हूँ?”
🌫️ काव्या का रहस्योद्घाटन
काव्या ने सुबह-सुबह उस पुरानी तस्वीर को ध्यान से देखा।
“ये तस्वीर… ये बच्ची…
लगता है मैं खुद अपनी कहानी के एक टुकड़े से जुड़ी हुई हूँ।”
वह अचानक डायरी में नए पन्ने खोलकर लिखने लगी —
"जब तक मैं इस रहस्य को उजागर नहीं करूँगी, हमारी परछाईयाँ हमें चैन नहीं देंगी।"
उसने तस्वीर को अपने हाथों में कसकर पकड़ लिया।
“अतीत छुपा नहीं रह सकता।”
⚡ प्रमोद की खलबली
प्रमोद मेहरा ऑफिस में अपने कंप्यूटर पर उस लिफ़ाफ़े की तस्वीर देख रहे थे।
साथ ही अनजाना खतरा उनके अंदर तेजी से बढ़ता जा रहा था।
“अगर सच बाहर आया…
तो अनाया और सुजाता की जान को खतरा हो जाएगा।”
प्रमोद ने अपने मोबाइल पर एक गुप्त नंबर डायल किया।
“जो भी इस रहस्य के पीछे है… उसे चुप कराओ।
फिर चाहे कुछ भी हो जाए।”
🌪️ नयी हुक लाइन
अनाया, रूहानी, आर्यन और काव्या… चारों की ज़िंदगी एक दूसरे में उलझती जा रही थी।
उनकी आत्माएँ धीरे-धीरे उस अनकहे सच की ओर खिंच रही थीं…
एक ऐसा सच, जो उन्हें सदियों पुरानी परछाइयों से जोड़ता था।
क्या ये सिर्फ़ इत्तफ़ाक़ है…
या सच में रूहों का एक अनजाना रिश्ता जो समय के पर्दों में दबा हुआ था?
🌫️ अनाया की बेचैनी बढ़ती जा रही थी
अनाया अपने कमरे में बैठी थी।
वो बार-बार अपने हाथ में लगी पुरानी डायरी के उस पन्ने को निहारती जा रही थी…
“सिर्फ सच को देखो… वरना अतीत तुम्हें खा जाएगा।”
उसके मन में सवालों का तूफान उठ रहा था।
“कौन… कौन लिख रहा है ये बातें? और क्यों सिर्फ़ मेरे लिए?”
वो खिड़की से बाहर झाँकती रही।
मुंबई की हल्की धुंध उसके मन की उलझन की तरह फैल रही थी।
अचानक उसकी आँखें ठहर गईं — दरवाज़े पर एक काग़ज़ रखा था।
काग़ज़ पर लिखा था —
“रास्ता जानते हो… पर चलने से डरते हो।”
उसका हाथ काँप उठा।
“यह कौन भेजता है?”
अनजानी परछाई की तरह यह शब्द उसके दिल पर चुभ गए।
वो डायरी और काग़ज़ दोनों को एक साथ कसकर पकड़कर बिस्तर पर बैठ गई।
🕵️ आर्यन का सामना
ऑफिस के एक अंधेरे कमरे में, आर्यन विवान का सामना कर रहा था।
विवान की आँखें छुपाने की कोशिश कर रही थीं, पर अंदर का डर साफ़ झलक रहा था।
आर्यन ने बिना झिझक कहा —
“तुम्हारे पास रूहानी और अनाया के बारे में जो भी जानकारी है…
मुझे अभी दे दो। वरना ये खेल तुम्हारे लिए बहुत महंगा पड़ेगा।”
विवान की आवाज़ कांप रही थी —
“मैंने केवल उतना ही देखा है जितना अनजाने में मिल गया।
रूहानी का परिवार… कोई बड़ी साज़िश में उलझा हुआ है।
और अनाया मेहरा… उसकी पृष्ठभूमि भी पूरी तरह साफ़ नहीं।”
आर्यन मुस्कराया, पर उसके चेहरे पर छुपा खौफ साफ़ था।
“किसका खेल ये सब? बताओ।
क्यों ये दोनों मेरी ज़िन्दगी में आए?”
विवान चुप रहा।
वह जानता था कि सच बोलना खतरे से खेलना है।
🌺 रूहानी का नया सुराग
रूहानी ने उस पुरानी तस्वीर को बार-बार देखा।
“विवान, एक अनजानी औरत, और मैं?”
उसने फ़ोटो एल्बम में और खोजबीन की तो एक पुराना काग़ज़ मिला, जिस पर लिखा था —
“विवान… रूहानी… तुम्हारी जड़ें एक-दूसरे से जुड़ी हैं।
अतीत की परछाईयों में छुपा है सच।”
उसका दिल थम सा गया।
“क्यों ये नाम मेरे और विवान के बीच दोहराए जा रहे हैं?”
उसने डायरी का अगला पन्ना पलटा…
पर वहाँ सिर्फ एक खाली स्थान था, जैसे कोई साज़िश छुपी हो।
🌫️ काव्या की अकेली खोज
काव्या ने एक पुराना लोहे का बक्सा खोला।
उसके अंदर धूल भरी चिट्ठियाँ और दस्तावेज़ थे।
एक चिट्ठी पर लिखा था —
“सच छुपाना आसान नहीं… क्योंकि सच्चाई खुद बाहर आना चाहती है।”
उसने चिट्ठियाँ ध्यान से पढ़ना शुरू किया।
हर पन्ने पर छुपा था एक नया रहस्य।
एक नाम बार-बार सामने आता था — “मेहरा परिवार।”
काव्या का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
“मेहरा परिवार का अतीत…
और मैं… क्या सिर्फ़ एक दर्जन सवालों की जंजीर हूँ?”
उसने हाथ में तस्वीर को कसकर पकड़ा —
बच्ची की आँखें उसकी अपनी आँखों में समा गईं।
⚡ प्रमोद का सन्नाटा
प्रमोद अपने कमरे में बैठा था।
वो बार-बार लिफ़ाफ़े को खोल कर पढ़ रहा था।
“सच छुपाओगे तो अपनों को खो दोगे।”
उसने अपने दिल से एक निर्णय लिया।
“अब और छुपाया नहीं जाएगा।
सच की परतें धीरे-धीरे खुलेंगी।”
वो गुप्त कमरे की तरफ बढ़ा।
अंदर छुपा एक बड़ा फोल्डर निकाला…
जिसमें था वो पुराना दस्तावेज़, जो शायद सब कुछ उजागर कर सकता था।
🌪️ हुक लाइन
अनाया, रूहानी, आर्यन, काव्या, और प्रमोद —
हर एक के दिल में एक नया सवाल उठ रहा था।
क्या वे उस रहस्य को उजागर कर पाएंगे…
जो समय के पर्दे के पीछे छुपा हुआ था?
या ये परछाईयाँ उन्हें हमेशा के लिए अपने जाल में फंसा लेंगी?
👉 अगला एपिसोड: "परछाइयों की पहचान" में सच की तहें खुलेंगी…