🌫️ एपिसोड 5 : "सदियों पुरानी परछाइयाँ"
⏳ सुबह की हल्की धुंध
मुंबई की सुबह की हल्की धुंध ने शहर को एक मायावी चादर में लपेट रखा था।
ऑफिस का माहौल पहले से भी ज्यादा गहरा और रहस्यमयी महसूस हो रहा था।
अनाया मेहरा ऑफिस की शीशे वाली दीवार के सामने खड़ी थी।
आर्यन की वो बात उसके दिमाग़ में गूँज रही थी —
"क्या तुम्हें कभी ऐसा लगता है कि तुम्हारा और मेरा रिश्ता सिर्फ़ इस जन्म का नहीं है?"
उसके होंठ बेमन से हिले —
"ये खिंचाव… ये बेचैनी… कुछ तो गहरा है।"
विवान कॉलेज के हाल से निकलते हुए रूहानी की ओर निगाहें लगाए खड़ा था।
रूहानी अपनी क्लास से बाहर निकल चुकी थी, पर उसके चेहरे पर एक बेचैनी थी।
विवान ने फिर से अपने अंदर का सवाल दोहराया —
"क्या रूहानी भी इस खेल में उलझी है?"
उसने खुद को रोकते हुए कदम बढ़ाए।
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⚡ अनाया और आर्यन की अनकही बातचीत
ऑफिस के मीटिंग रूम में आज फिर अनाया और आर्यन आमने-सामने थे।
मिलते ही दोनों की आँखें टकराईं।
आर्यन ने फिर से वो सवाल दोहराया, लेकिन इस बार उसकी आवाज़ में थोड़ा सा इम्फैसिस था —
“अनाया, तुम सच में नहीं मानती?”
अनाया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
“क्या मानूं सर?” उसने खुद को संभालते हुए पूछा।
आर्यन ने एक गहरी सांस ली —
“कि तुम्हारा और मेरा रिश्ता… किसी इत्तफ़ाक़ से नहीं जुड़ा। ये कुछ ज्यादा पुराना है।”
अनाया की पलकों पर नमी थी।
“सर… ये बात मेरे समझ से परे है। मैं… मैं नहीं जानती।”
आर्यन ने फाइल अपने पास रख दी।
“मुझे भी नहीं पता, अनाया। पर दिल ये कह रहा है कि सच कहीं आस-पास है। हमें ढूँढना होगा।”
अनाया ने उसकी आँखों में झाँका।
जैसे कोई अनकहा वादा छुपा हो।
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🌧️ रूहानी की उलझन
कॉलेज के काफ़िले में रूहानी अकेली सी चली जा रही थी।
विवान ने फिर से उसकी राह काट दी।
“तुम इतनी चुप क्यों हो?” उसने धीरे से पूछा।
रूहानी ने झिझकते हुए कहा —
“तुम्हें क्या फर्क पड़ता है?”
विवान मुस्कुराया, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी गंभीरता थी।
“क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम सच से भाग नहीं सकती।”
रूहानी की साँसें रुक सी गईं।
“सच… जो मैं खुद भी नहीं समझ पा रही।”
विवान ने एक कदम और बढ़ाया।
“अगर तुम चाहो, मैं तुम्हारे साथ चलूंगा। इस अंधेरे से बाहर निकलने।”
रूहानी ने उसकी आँखों में झाँक कर चुपचाप सिर हिलाया।
एक नयी समझ बनी थी उनके बीच।
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🌒 काव्या की अनहोनी खोज
काव्या फिर से अपने कमरे में बैठी थी।
डायरी के पन्नों पर कुछ लिखते हुए उसकी आँखें बार-बार खिड़की की ओर देख रही थीं।
फिर अचानक उसने वही पुरानी तस्वीर निकाली, जो पिछले दिन खिड़की के बाहर मिली थी।
तस्वीर में एक औरत, एक आदमी और एक छोटी बच्ची थे।
काव्या की नज़रें बच्ची पर टिक गईं।
“ये चेहरा… बिल्कुल मेरा जैसा क्यों दिखता है?”
उसने तस्वीर के पीछे लिखा —
"क्या यह मेरी असली पहचान से जुड़ा हुआ है?"
काव्या की बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
वह उस तस्वीर में छिपे अनसुलझे रहस्य की ओर खिंची चली जा रही थी।
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🌫️ प्रमोद का सामना
प्रमोद मेहरा अपने ऑफिस में उस रहस्यमयी लिफ़ाफ़े को बार-बार देख रहे थे।
वो लिफ़ाफ़ा जिसमें लिखा था —
"सच छुपाओगे तो तुम्हारे अपनों को खो दोगे।"
उनके सामने अंधकार घिरता जा रहा था।
“कौन मुझे चेतावनी दे रहा है?” प्रमोद ने खुद से सवाल किया।
फिर अचानक उनकी आँखें एक पुराने दस्तावेज़ पर टिक गईं।
वो दस्तावेज़ किसी पुराने केस का था।
“यह मामला… 25 साल पुराना है।” प्रमोद की आवाज़ में थरथराहट थी।
उसके हाथ काँपने लगे।
“क्या… क्या ये जुड़ा है आर्यन से?”
वह खिड़की से बाहर मुंबई की चमकती रोशनी में खो गया।
जैसे कोई भूतपूर्व सच उसके सामने उभर रहा हो।
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🕰️ आर्यन का झूठा आत्म-संवाद
आर्यन अपनी पेंटहाउस की खिड़की से बाहर ताकता रहा।
वह पुरानी तस्वीर के सामने बैठा था।
“क्यों मैं इस लड़की से जुड़ा महसूस करता हूँ?
क्या ये सब मेरे अतीत का हिसा है?”
उसने शराब का गिलास फिर से उठाया, लेकिन बिना पिए धीरे से कहा —
“सच… जो छुपा है, उसे छुपाया नहीं जा सकता।”
उसे महसूस हुआ कि ये सिर्फ़ आकर्षण नहीं…
बल्कि किसी अधूरी कहानी की शुरूआत थी।
वह अपनी आँखें बंद कर बैठा।
फिर वह मंदिर की सीढ़ियाँ, बारिश की बूँदें और अनजानी लड़की का चेहरा फिर से उसकी आँखों के सामने आ गया।
“ये सपना नहीं… ये याद है।”
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⚡ हुक लाइन
अनाया की आँखें आर्यन की आँखों में अटक गईं।
रूहानी और विवान के बीच बेतरतीब खिंचाव गहराता जा रहा था।
काव्या का डर और प्रमोद की बेचैनी जैसे एक अनसुलझी गुत्थी बनती जा रही थी।
लेकिन एक ही सवाल गूँज रहा था…
“क्या ये सब सिर्फ़ इत्तफ़ाक़ है… या सदियों पुराना रूहों का रिश्ता?”
👉 अगला एपिसोड जल्दी ही… रहस्य की परतें खुलेंगी।