🌫️ कहानी: “अधूरी किताब” – भाग 3: अनसुलझे रहस्य और नई खोज
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🌪️ अस्पष्ट परछाइयाँ और अनजाना डर
रीया शर्मा के होश में आने के बाद भी उसके दिल में उस किताब का प्रभाव कुछ कम नहीं हुआ था। उसके सपनों में वह किताब बार-बार उसकी आँखों के सामने आती थी – जैसे वह किसी गहरे रहस्य की पुकार हो। हर बार किताब का आखिरी पन्ना चमकता और फिर एक नाम उभरता – “राहुल वर्मा।”
रीया के भीतर सवाल उठने लगे – क्या राहुल सचमुच अगला शिकार बनने वाला था? लेकिन राहुल ने खुद को पूरी तरह साहसी दिखाया। “मैं डरता नहीं हूँ,” वह बार-बार कहता रहा, पर उसके चेहरे पर छुपा हुआ तनाव साफ दिखता था।
काव्या ने भी गहरी चिंता जताई। वह जानती थी कि किताब की शक्ति सिर्फ़ खत्म नहीं हुई थी – वह अब और भी गहरा हो गई थी।
“हमें किताब का पूरा रहस्य उजागर करना पड़ेगा, नहीं तो यह हमेशा नए शिकार खोजती रहेगी।”
राहुल और रीया दोनों काव्या के साथ लाइब्रेरी में लौट आए। काव्या ने किताब के सुरक्षित लोहे के बक्से की चाबी उठाई।
“आज हम इसकी गहराई में जायेंगे।”
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🔍 नई सुराग की खोज
तीनों ने बक्सा खोला। किताब अभी भी उसी शांत अवस्था में थी, लेकिन आख़िरी पन्ना हल्की चमक छोड़ रहा था। काव्या ने ध्यान से किताब के बीचों-बीच पलटे पन्ने।
“हर शिकार के पीछे एक संकेत होता है,” उसने कहा। “और हमें वह संकेत खोजना है।”
रीया ने पूछा, “लेकिन कहाँ से शुरू करें?”
काव्या ने उत्तर दिया, “हम उस स्थान से जहाँ पहली आत्मा कैद हुई थी – जादूगर अरविंद देव की पुरानी हवेली।”
राहुल ने एक पुरानी फाइल निकालकर देखा। उसमें हवेली का नक्शा था – ठीक उसी समय जब जादूगर अरविंद देव ने खुद को पहली बार किताब में कैद किया था।
“यह नक्शा हवेली के बेसमेंट का है। एक विशेष कमरा वहाँ है, जहाँ एक रहस्यमयी पत्थर रखा हुआ है। उसी से यह किताब ऊर्जा प्राप्त करती है।”
रीया की आंखें खुल गईं। “तो हमें उस पत्थर को ढूँढना पड़ेगा।”
काव्या ने गंभीर स्वर में कहा, “हाँ। यह पत्थर सिर्फ तभी खुलता है, जब हम अपनी आत्मा की गहराई में जाकर सच को पहचानते हैं।”
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🏚️ अरविंद देव की हवेली की ओर सफर
तीनों ने तय किया कि वे रात के समय हवेली का दौरा करेंगे। हवेली दिल्ली से कुछ दूर, एक वीरान जंगल के बीच स्थित थी। पुराने समय की धुंधली इमारत अब भी खड़ी थी – जिस पर समय की गहरी छाप थी।
“यह स्थान सालों से बंद पड़ा हुआ है,” काव्या ने बताया। “जैसे किसी ने इसे भूलने की कोशिश की हो।”
हवेली के अंदर कदम रखते ही वातावरण और भी भयानक हो गया। दीवारें दरक रही थीं, फर्श पर धूल जमी थी, और अजीब आवाजें गूँज रही थीं – मानो किसी अदृश्य शक्ति का संकेत।
रीया ने घबराहट के बावजूद कदम बढ़ाया। राहुल और काव्या उसके साथ थे।
“यहाँ हर कोना एक रहस्य छुपाए हुए है,” काव्या ने कहा। “हमें पत्थर का स्थान खोजना होगा।”
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🔎 रहस्यमयी पत्थर की खोज
घंटों की खोज के बाद, आखिरकार उन्होंने हवेली के सबसे नीचे स्थित एक अंधेरे कमरे का दरवाजा पाया। दरवाजे पर वही पुराना प्रतीक उकेरा हुआ था, जो अरविंद देव के परिवार का चिन्ह था।
काव्या ने मंत्र पढ़ना शुरू किया –
“प्राचीन शक्ति, रास्ता खोलो। सच्चाई का आवरण हटाओ।”
दरवाजा धीरे-धीरे खुला। अंदर एक प्राचीन वेदिका थी। उसके बीचों-बीच रखा हुआ पत्थर अजीब चमक बिखेर रहा था। वह पत्थर बेहद पुराना था, उस पर गहरे उकेरे हुए चिह्न और प्रतीक बने हुए थे।
काव्या ने धीमे स्वर में कहा, “यह वही पत्थर है, जो किताब को शक्ति देता है।”
राहुल ने हाथ बढ़ाया, लेकिन काव्या ने उसे रोका। “हमें इसे बिना तैयारी के नहीं छूना चाहिए। इसमें छुपा हुआ एक प्राचीन मंत्र है। हमें पहले पूरा रहस्य जानना होगा।”
रीया ने पूछा, “काव्या जी, क्या यह सच है कि अरविंद देव ने अपनी आत्मा का सबसे बड़ा रहस्य इसी पत्थर में छुपा दिया था?”
काव्या ने गंभीरता से उत्तर दिया, “हाँ। और वही रहस्य आज तक किसी ने नहीं समझा। जब तक यह रहस्य उजागर नहीं होता, किताब शिकार करती रहेगी।”
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⚡ पत्थर का रहस्य उजागर होना
काव्या ने धीरे-धीरे एक प्राचीन दस्तावेज निकाला। उसमें लिखा था –
“जो व्यक्ति अपने डर को समझेगा, वही इस पत्थर की असली शक्ति को पहचान पाएगा। यह पत्थर केवल सचमुच की हिम्मत वाले को उसकी वास्तविकता दिखाएगा।”
रीया ने आँखें बंद कीं। अपने अंदर की गहराई में झाँकने लगी। उसके मन में एक अजीब एहसास जागा – जैसे उसके अतीत के कुछ भूल गए हिस्से फिर से सामने आ रहे थे।
“मुझे याद है… कुछ समय पहले लाइब्रेरी में उस किताब ने मेरी आत्मा को खींचा था… लेकिन उसके पीछे जो छुपा था, मैं समझ नहीं पा रही थी।”
काव्या ने धीरे से कहा, “तुम्हें अपनी पूरी याददाश्त का सामना करना होगा।”
रीया ने गहरी साँस ली और खुद से कहा –
“मैं अपने अतीत का सामना करूंगी।”
जैसे ही उसने यह कहा, पत्थर से हल्की सी चमक निकली। धीरे-धीरे एक प्राचीन दृश्य सामने आने लगा – अरविंद देव की आत्मा, एक प्राचीन पुस्तक के सामने खड़ी थी, और एक मंत्र पढ़ रही थी। उसकी आंखें अधूरी चाहत से भरी थीं।
“मुझे अमर बनाना था… पर मैंने अधूरी आत्माओं को इस किताब में कैद कर दिया।”
रीया की आँखें भर आईं। “तो यही असली रहस्य था…”
काव्या ने कहा, “अब हमें इसे ठीक करना होगा। तभी किताब का शाप टूटेगा।”
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🌈 अंतिम मंत्र और आत्मा की मुक्ति
काव्या ने वेदिका पर पत्थर रखा। मंत्र पढ़ना शुरू किया –
“अधूरी आत्मा को पूरी बनाओ, सच्चाई से आज़ाद करो।
जादूगर की अधूरी ख्वाहिश को सत्य से जोड़ दो।”
पत्थर की चमक तेज़ होती गई। अचानक, एक हल्की फुसफुसाहट गूँजने लगी –
“मुझे पूरी पहचान दो… मुझे शांति दो…”
रीया ने अपनी आत्मा की गहराई से कहा –
“मैं तुम्हारी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करूंगी। मैं सच का सामना करती हूँ।”
जैसे ही उसने यह कहा, पत्थर की चमक सफेद रोशनी में बदल गई। एक तेज़ रोशनी का धमाका हुआ और उस प्राचीन दृश्य की आत्मा गायब हो गई। हवेली की अंधेरी दीवारें धीरे-धीरे उजली हो गईं।
काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब किताब अपनी शक्ति खो चुकी है। इसका अंतिम पन्ना हमेशा के लिए बंद हो गया है।”
राहुल ने राहत की सांस ली।
रीया ने धीरे से कहा, “मुझे अब एहसास हुआ… डर को पहचानना और उसे स्वीकार करना ही सबसे बड़ी शक्ति है।”
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🌅 एक नई शुरुआत का संकल्प
रीया, राहुल, और काव्या ने मिलकर किताब को एक और मजबूत लोहे के बक्से में रखा।
काव्या ने फर्म शब्दों में कहा –
“यह बक्सा अब दुनिया की नजरों से दूर रहेगा। कोई भी इसे फिर से नहीं खोल सकेगा।”
रीया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया –
“हमने उस किताब का साया हराया है, पर इसका रहस्य कभी खत्म नहीं होगा।”
राहुल ने अपने दोस्ताना स्वर में कहा –
“अब हम सब इस लाइब्रेरी को एक नई दिशा देंगे। सच का सामना करके डर को हराना ही हमारी नई जिम्मेदारी होगी।”
काव्या ने सिर हिलाया।
“और हमेशा सतर्क रहना होगा… क्योंकि अधूरी किताब का एक नया अध्याय कहीं न कहीं शुरू हो रहा है।”
📖 अधूरी किताब का रहस्य अभी भी अधूरा है…
👉 क्या सचमुच कोई नई आत्मा इसे फिर से खोजेगी?
👉 क्या यह किताब एक बार फिर अपने अगले शिकार की तलाश में निकल पड़ेगी?
🔔 भाग 4 जल्द ही आएगा…