shortcut to success in Hindi Motivational Stories by Vijay Sharma Erry books and stories PDF | सफ़लता का शॉर्टकट

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सफ़लता का शॉर्टकट

Here’s a complete Hindi story of about 2500 words on the topic “सफलता का शॉर्टकट”.


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सफलता का शॉर्टकट

✍️ विजय शर्मा एरी


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प्रस्तावना

आज के समय में हर कोई सफल होना चाहता है। मगर सवाल यह है कि क्या मेहनत और संघर्ष की लंबी राह पर चलने का धैर्य हमारे पास बचा है? या फिर हम शॉर्टकट की तलाश में हैं, चाहे वह रास्ता सही हो या ग़लत। यही कहानी है आरव और उसके दोस्तों की, जिनके सपनों ने उन्हें ऊँचाई की चाह तो दी, लेकिन उस चाह ने किस रास्ते पर पहुँचा दिया—यह उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सबक बन गया।


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पहला पड़ाव : सपनों की उड़ान

दिल्ली के पास एक छोटे से कस्बे में रहने वाला आरव बारहवीं की पढ़ाई ख़त्म कर चुका था। घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े थे।

आरव अक्सर आईने के सामने खड़ा होकर अपने आप से कहता—
“बस एक मौका मिल जाए, फिर देखना, मैं सबको दिखा दूँगा कि असली हीरो कौन है।”

उसे फ़िल्मों के हीरो की तरह जीना था, महंगे कपड़े, बड़ी गाड़ी, नाम और शोहरत।

उसके तीन दोस्त भी थे—

1. कबीर – पढ़ाई में तेज़ लेकिन सब्र कम।


2. मोहित – दिमाग़ बिज़नेस का लेकिन आलस उसकी सबसे बड़ी दुश्मन।


3. सोनू – सबसे मासूम, मगर दोस्तों की संगत में बहने वाला।



चारों की मंडली अकसर चाय की दुकान पर बैठकर बड़े-बड़े सपनों की बातें करती।

कबीर बोला—
“यार, ये जो लोग लाखों कमा रहे हैं, ये कोई ज़्यादा पढ़े-लिखे थोड़े ही हैं। बस एक शॉर्टकट पकड़ लिया।”

आरव की आँखें चमक उठीं—
“सही कह रहा है भाई। मेहनत कौन करे अब? मेहनत तो हमारे पापा करते हैं, फिर भी कुछ हासिल नहीं हुआ।”


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दूसरा पड़ाव : आसान पैसे का ख्वाब

एक दिन मोहल्ले में एक नई गाड़ी आई। उससे उतरा लड़का उम्र में उनसे ही बड़ा होगा, पर दिखने में किसी फिल्म स्टार से कम नहीं। हाथ में महँगा मोबाइल, गले में सोने की चेन।

आरव ने उत्सुकता से पूछा—
“भाईसाहब, इतना पैसा कैसे?”

लड़के ने मुस्कराकर कहा—
“ऑनलाइन ट्रेडिंग, क्रिप्टो, और थोड़ा बहुत ‘जुगाड़’। रातों-रात लाखों आ सकते हैं।”

बस, यही चिंगारी थी। चारों दोस्तों के मन में आग लग चुकी थी। अब उन्हें मेहनत नहीं, ‘जुगाड़’ चाहिए था।


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तीसरा पड़ाव : पहला शॉर्टकट

कबीर ने सुझाव दिया—
“चलो ऑनलाइन गेमिंग से पैसे कमाते हैं। बहुत लोग खेलकर करोड़पति बने हैं।”

चारों ने मोबाइल में ऐप्स डाउनलोड किए। शुरू में थोड़े पैसे आए भी। आरव बोला—
“वाह! देखो, बस क्लिक किया और पैसे। यही है असली रास्ता।”

लेकिन जल्द ही खेल ने उन्हें लूट लिया। पैसा कमाने के बजाय उनका जेब खाली होने लगा।

सोनू हताश होकर बोला—
“ये तो धोखा था।”

आरव हँसते हुए बोला—
“कोई बात नहीं, और शॉर्टकट ढूँढते हैं।”


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चौथा पड़ाव : ग़लत संगत

धीरे-धीरे वे मोहल्ले के एक बदनाम शख्स रणवीर भैया के संपर्क में आ गए। रणवीर का नाम ही काफ़ी था। वह ग़लत तरीक़ों से पैसे बनाता था—नकली सामान का धंधा, सट्टेबाज़ी और न जाने क्या-क्या।

रणवीर ने आरव को देखते ही कहा—
“तेरे में दम है। अगर जल्दी पैसा चाहिए तो मेरे साथ काम कर।”

आरव के सपनों को जैसे पंख लग गए। वह बोला—
“भैया, बस मुझे भी आपकी तरह बनना है।”


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पाँचवाँ पड़ाव : सफलता का झूठा स्वाद

रणवीर ने चारों को छोटे-मोटे काम दिए—

नकली मोबाइल एक्सेसरी बेचना,

सट्टे का नंबर लगवाना,

और लोगों को आसान पैसे के सपने दिखाकर ठगना।


कुछ ही दिनों में आरव के पास नया फोन, ब्रांडेड कपड़े और बाइक आ गई।

मोहल्ले में लोग फुसफुसाने लगे—
“वाह! आरव तो जल्दी ही बड़ा आदमी बन गया।”

आरव के माता-पिता को शक हुआ। माँ ने डाँटते हुए कहा—
“बेटा, ये पैसा कहाँ से आ रहा है?”

आरव गुस्से में बोला—
“आपको समझ नहीं आएगा माँ। ये मेरी मेहनत है। अब गरीबों की तरह जीने का मन नहीं।”


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छठा पड़ाव : असली इम्तहान

एक रात रणवीर ने बड़ा काम सौंपा।
“इस बार असली पैसा आएगा। नकली नोटों का माल शहर से बाहर पहुँचाना है।”

चारों दोस्तों का दिल धड़क उठा।

सोनू डरते हुए बोला—
“ये तो ग़लत है यार, पकड़े गए तो?”

आरव ने उसे डाँटा—
“कायर मत बन। जो डर गया वो मर गया। सोच, इस काम के बाद हमारी ज़िंदगी बदल जाएगी।”


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सातवाँ पड़ाव : गिरफ्तारी

गाड़ी से नकली नोटों का बक्सा लेकर वे हाईवे पर निकले ही थे कि पुलिस ने चेकिंग में पकड़ लिया।

पुलिस अधिकारी गरजकर बोला—
“क्या समझ रखा है तुम लोगों ने? रातों-रात अमीर बनने चले हो?”

चारों को जेल में डाल दिया गया। अब आरव का नकली चमकता चेहरा उतर चुका था।


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आठवाँ पड़ाव : असली सबक

जेल की सलाखों के पीछे बैठा आरव सोचने लगा—
“मैंने अपने सपनों को ही क्यों धोखा दिया? मेहनत से मिली सफलता शायद देर से मिलती, लेकिन सच्ची होती।”

कबीर, मोहित और सोनू भी पछता रहे थे। सोनू की आँखों से आँसू बह निकले—
“काश हमने आसान रास्ते की जगह मेहनत चुनी होती।”


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नौवाँ पड़ाव : नई शुरुआत

कई हफ़्तों बाद जब वे जमानत पर बाहर आए, तो समाज की नज़रें बदल चुकी थीं। जिन लोगों ने उनकी गाड़ियों और कपड़ों की तारीफ़ की थी, वही अब ताने मार रहे थे।

आरव ने उस दिन अपने दोस्तों से कसम खाई—
“अब से कोई शॉर्टकट नहीं। चाहे कितनी मेहनत करनी पड़े, पर सही रास्ते पर चलेंगे।”

उन्होंने पढ़ाई और छोटे-छोटे काम से शुरुआत की। धीरे-धीरे कबीर को नौकरी मिली, मोहित ने एक छोटा बिज़नेस शुरू किया, सोनू ने पढ़ाई जारी रखी और आरव ने लेखन व थिएटर में मेहनत करनी शुरू कर दी।


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उपसंहार

सालों बाद, आरव एक सफल नाटककार बन चुका था। उसने अपने जीवन के अनुभव पर एक नाटक लिखा—“सफलता का शॉर्टकट”।

नाटक के अंत में उसका डायलॉग था—

> “सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता।
अगर होता भी है, तो वह मंज़िल तक नहीं ले जाता, बल्कि बर्बादी की खाई में गिरा देता है।
असली रास्ता मेहनत, संघर्ष और धैर्य से होकर ही गुजरता है।”



दर्शक खड़े होकर ताली बजाने लगे।

आरव मुस्कराया। आज वह सचमुच सफल था—
क्योंकि इस बार उसकी सफलता मेहनत से मिली थी, चोरी या धोखे से नहीं।


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निष्कर्ष

आज की युवा पीढ़ी अक्सर ‘शॉर्टकट’ के पीछे भागती है—

जल्दी पैसा कमाने के लिए ग़लत धंधे में पड़ जाना,

बिना मेहनत किए शोहरत पाना,

या दूसरों की नकल करके ऊँचाई पर पहुँचना।


लेकिन सच्चाई यही है कि सफलता का कोई आसान रास्ता नहीं होता। मेहनत, ईमानदारी और धैर्य ही सच्ची मंज़िल तक ले जाते हैं।


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✍️ लेखक : विजय शर्मा एरी


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