Mere Ishq me Shamil Ruhaniyat he - 41 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 41

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 41

 

🌅 1. नई शुरुआत की हल्की रौशनी

 

सुबह की पहली किरण जब दरभंगा की पुरानी हवेली की दीवारों से टकराई,

तो हवा में अब कोई रहस्य नहीं था —

बस शांति थी, और उस शांति में एक मधुर संगीत तैर रहा था।

 

रूहाना ने बरामदे से बाहर झाँका —

जहाँ कभी नीली धुंध फैली रहती थी, वहाँ अब सुनहरी ओस चमक रही थी।

अर्जुन उसके पास आया,

“अब हवेली सच में सो गई है, रूहाना।”

 

वो हल्के से मुस्कराई,

“हाँ… मगर जो कुछ इसने हमें दिया, वो ज़िंदा रहेगा।”

 

अर्जुन ने उसकी हथेली थामी,

“शायद अब हमें अपने लिए जीना चाहिए… बिना किसी पिछले जन्म की छाया के।”

 

रूहाना ने धीमे स्वर में कहा,

“और शायद उसी में रूहान-रुमी की आत्मा को सुकून मिलेगा।”

 

 

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🌙 2. दरभंगा से विदाई

 

हवेली के बाहर खड़ा वो पुराना नीम का पेड़ अब खामोश नहीं था —

उसकी शाखाओं से गुलाबी फूल झर रहे थे।

 

रूहाना ने आसमान की ओर देखा,

“याद है अर्जुन, जब पहली बार यहाँ आए थे… तो डर लगता था?”

 

अर्जुन हँस पड़ा,

“अब लगता है, डर उसी का नाम था जिसे हम इश्क़ समझ बैठे थे।”

 

दोनों ने एक आख़िरी बार हवेली की ओर देखा —

दीवारों पर हल्की नीली लकीरें अब धीरे-धीरे मिट रही थीं,

जैसे हवेली अपनी आत्मा ब्रह्मांड को सौंप रही हो।

 

उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामा और दरभंगा की गलियों की ओर चल पड़े।

पीछे हवेली की खिड़कियाँ अपने आप बंद हो गईं —

और हवा में वही पुराना स्वर गूंजा:

 

> “कहानी ख़त्म नहीं होती… वो बस रूप बदलती है।”

 

 

 

 

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🌧️ 3. नई कहानी का जन्म

 

कई दिन बीत गए।

अब अर्जुन और रूहाना दिल्ली में थे।

रूहाना ने एक नया स्टूडियो खोला था — “रूह की कलम।”

 

वो पुराने कागज़ों पर कुछ लिख रही थी,

जब अचानक खिड़की से नीली तितली अंदर आई।

वो उसकी हथेली पर बैठी और जैसे कोई संदेश दे गई।

 

रूहाना ने मुस्कराकर लिखा —

 

> “हर जन्म में रूह वही रहती है,

बस नाम बदल जाते हैं —

और इश्क़… फिर से अपना सुर ढूँढ लेता है।”

 

 

 

अर्जुन पास आकर बोला,

“क्या लिख रही हो?”

 

वो बोली,

“वो कहानी जो शायद रूहान-रुमी ने शुरू की थी…

और जिसे अब हमें पूरा करना है।”

 

अर्जुन ने कहा,

“नाम क्या रखोगी?”

 

रूहाना की आँखों में चमक थी,

“‘मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है’ — यही तो उनका वादा था।”

 

 

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🌠 4. ब्रह्मांड का जवाब

 

रात को दोनों छत पर बैठे थे।

आसमान में वो नया तारा अब और भी चमक रहा था।

हवा में हल्की धुन थी — वही, जो हवेली के तहखाने में गूँजी थी।

 

अर्जुन ने पूछा,

“क्या तुम्हें लगता है वो दोनों… अब भी हमें देख रहे हैं?”

 

रूहाना बोली,

“नहीं अर्जुन, वो अब हममें हैं।

हर शब्द में, हर धड़कन में — वही संगीत गूंज रहा है।”

 

फिर उसने उसकी ओर देखा,

“कभी अगर अगला जन्म हुआ…

तो मुझे ढूँढ लेना, किसी अधूरी कविता के बीच।”

 

अर्जुन ने मुस्कराकर कहा,

“और मैं तुम्हें पा लूँगा — किसी पुरानी धुन के अंतरे में।”

 

 

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🌌 5. अनंत इश्क़ की धुन

 

आसमान में तारे झिलमिला रहे थे।

नीली और सुनहरी रौशनी एक-दूसरे में घुल रही थी।

 

दूर से वही हल्की आवाज़ आई —

जैसे किसी और समय से कोई रूह गा रही हो:

 

> “इश्क़ ख़त्म नहीं होता…

वो बस कहानी बदलता है।”

 

 

 

रूहाना ने अर्जुन के कंधे पर सिर रख दिया।

“शायद यही सच्चा अंत है — जब अंत भी रुमानियत बन जाए।”

 

और उसी क्षण आसमान में दो तारे साथ चमक उठे —

नीला और सुनहरा।

रूहान-रुमी की रूहें अब अर्जुन-रूहाना के इश्क़ में घुल चुकी थीं।

 

 

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💫 एपिसोड 39 — हुक लाइन:

 

> “कहानी वहाँ नहीं ख़त्म होती जहाँ रूहें चैन पाती हैं…

बल्कि वहाँ से शुरू होती है, जहाँ इश्क़ फिर से साँस लेता है।” 🌙