Mere Ishq me Shamil Ruhaniyat he - 56 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | मेरे इश्क में शामिल रुमानियत है एपिसोड 56

Featured Books
Categories
Share

मेरे इश्क में शामिल रुमानियत है एपिसोड 56

कहानी का नाम — “मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है”

🌙 एपिसोड 56



---


रात और सन्नाटा…

दोनों ने मिलकर आज की हवा को कुछ अलग बना दिया था।

आसमान में दो बादलों के बीच चाँद छुपा-छुपा खेल रहा था, जैसे मोहब्बत और डर के बीच जंग चल रही हो।


अयान और रूहानी साथ तो थे…

पर दिलों में बेचैनी अब भी छिपी हुई थी।


हवेली के बरामदे में खड़े अयान ने रूहानी का हाथ अपने हाथ में लिया,

मगर रूहानी ने धीमे से हाथ छुड़ा लिया।


अयान की साँस अटक गई —

“क्यों दूर जा रही हो मुझसे?”


रूहानी की आँखें नम थीं —

“अयान… मैं चाहकर भी शायरी को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती। जो कुछ भी वो जानती है… जो कुछ भी वो कह रही है… सब झूठ कैसे हो सकता है?”


अयान थोड़ा गुस्से में —

“क्योंकि वो चाहती है कि हम दूर हो जाएँ! वो हमारे बीच नफरत बोना चाहती है, और तुम… तुम वही होने दे रही हो।”


रूहानी:

“नहीं अयान… मैं बस सच जानना चाहती हूँ। अगर उसके अंदर सच का एक भी टुकड़ा है तो उसे सामने लाना पड़ेगा।”


अयान खामोश…

उसका गुस्सा अब चोट में बदल गया था।


उसने धीरे से कहा —

“तुम मुझ पर भरोसा करने के बजाय अपने अतीत पर भरोसा कर रही हो… यही मेरे लिए सबसे बड़ा दर्द है।”


उसके शब्दों ने रूहानी को तोड़ दिया, लेकिन वो चुप रही।


कुछ पल बाद हवेली के मुख्य दरवाज़े के पास एक भारी आवाज़ गूँजी —

धड़ाम!!!


दोनों चौंक गए।

दौड़कर अंदर गए तो देखा —

दीवार पर लगी पुरानी पेंटिंग धीरे-धीरे फर्श पर गिरी हुई थी, जैसे किसी ने उसे धक्का दिया हो।


अयान ने पेंटिंग को उठाया —

पीछे कुछ उभरा हुआ दिख रहा था।

उसने लकड़ी के फ्रेम को धीरे से हटाया।


पीछे छिपा था…

एक पुराना पत्र।


पीला, जला हुआ किनारों से…

जैसे किसी ने सालों पहले बचाकर रखा हो।


अयान ने वो पत्र रूहानी को दिया —

उसके हाथ काँपे, जैसे कोई सच छूने से डर रहा हो।


पत्र में लिखा था —


“जिस रूह से मेरा दिल बंधा है, वही मेरी नफ़रत की वजह भी है…

मोहब्बत और बदला एक ही रात में पैदा हुए थे।

अगर मेरा इश्क़ अधूरा रहा… तो किसी और की मोहब्बत भी मुकम्मल नहीं होने दूँगी।”


हस्ताक्षर —

“ज़ारा”


जैसे ही नाम पढ़ा गया —

दीवारों पर तेज हवा टकराई, दरवाज़े एक साथ बंद हो गए।


रूहानी सहमकर अयान की तरफ झपटी —

“अयान!! ज़ारा… यही नाम तो शायरी ने बोला था!!”


अयान ने उसे बाँहों में ले लिया —

पर उसके चेहरे पर डर नहीं… गुस्सा था।


अयान:

“किसी ज़ारा की रूह का बदला हमारी मोहब्बत की कीमत पर नहीं चुकाया जाएगा।

चाहे वो रूह हो, शायरी के जरिए खेल खेल रही हो…

या खुद शायरी ही ज़ारा की छाया हो —

लेकिन हमारी मोहब्बत को कोई बाँट नहीं सकता।”


रूहानी ने उसकी आँखों में झाँका —

“अगर सच में यह बदला है… फिर मेरा अतीत भी इस कहानी में शामिल होगा, अयान।

और शायद… तुम्हारा भी।”


अचानक पास वाली गलियारे से किसी की धीमी परछाई गुज़री।

दोनों मुड़े —

वहाँ कोई नहीं था।


रूहानी घबराई —

“शायद शायरी है…”


अयान ने कंधे पर जैकेट ठीक की —

“नहीं… वो चाहे तो सामने आ सकती है।

ये कोई और था —

और शायद वही चाहता है कि हम ये सच पढ़ें।”


तभी ऊपर की मंज़िल से एक लड़की की डरावनी चीख सुनाई दी।


रूहानी अपने आप अयान का हाथ पकड़कर बोली —

“ये शायरी की आवाज़ है!!”


अयान ने उसे अपने पीछे किया —

“तुम नीचे ही रहो, मैं—”


रूहानी ने जोर से कहा —

“नहीं! आज मैं पीछे नहीं हटूँगी। जो सच है, उसे मैं खुद देखूँगी।

क्योंकि ये लड़ाई सिर्फ तुम्हारी नहीं… हमारी मोहब्बत की है।”


दोनों सीढ़ियाँ चढ़ने लगे —

हर स्टेप भारी होता जा रहा था।

ऊपर अंधेरा और सन्नाटा दोनों इंतज़ार कर रहे थे।


आवाज़ फिर आई —

“वो… इन्हें अलग कर दो… इन्हें कभी साथ मत रहने दो…”


जैसे कोई दबी हुई आत्मा आहें भर रही हो।


सीढ़ियों के टॉप पर पहुँचते ही…

कमरे का दरवाज़ा अपने-आप खुल गया।


अंदर —

शायरी ज़मीन पर बैठी थी, उसके बाल खुले… आँखें खाली…

और उसकी हथेली पर वही नाम लिखा था —


“ज़ारा”


रूहानी स्तब्ध —

“शायरी… ये किसने लिखा? बोलो! तुम्हें चोट कैसे लगी?!”


शायरी ने काँपती आवाज़ में कहा —

“मैं नहीं लिखी… किसी ने मेरे हाथ पकड़कर लिखवाया…

वो कहती है —

तुम्हारी मोहब्बत… वही पूरी होगी… जिसकी पूरी हुई थी कभी मेरी मोहब्बत…

और मेरी मोहब्बत… पूरी नहीं हुई थी।”


अयान और रूहानी दोनों के शरीर में सिहरन दौड़ गई।


रूहानी की आँखें नम हो गईं —

“ये बदला है अयान… और इसका अंत सिर्फ सच से होगा।”


अयान उसके पास आकर बोला —

“और मैं कसम खाता हूँ —

सच हमें अलग नहीं कर सकता।

क्यूँकि मेरे इश्क़ में…

सिर्फ रूहानी शामिल है।

और कोई नहीं।”


उसने रूहानी के माथे पर किस किया —

जैसे आज पहली बार उसे ये साबित करना हो कि डर से बड़ी चीज़ मोहब्बत होती है।


और तभी —

कमरे की ला

इट अचानक बंद हो गई।

दरवाज़ा पीछे से अपने-आप बंद हो गया।


और हवा में एक धीमी फुसफुसाहट गूँजी —


“तो चलो… कहानी फिर शुरू करते हैं।”


— टू बी कंटिन्यूड —