*अदाकारा 63
बेहराम एक बार फिर पुलिस स्टेशन पहुंचा। तब तक बृजेश बैंगलोर से आ चुका था। बेहरामने बृजेश को अपना ID प्रूफ दिखाया और कहा।
"इंस्पेक्टर साहब।मैं सुनील से मिलना चाहता हूँ।"
"क्यों?क्या तुम उसके रिश्तेदार हो?"
बृजेश को यह कतई पसंद नहीं आया कि कोई सुनील से मिलने या उसे बचाने भी आये। जिसे वह पूरे दिलो जानसे प्यार करने लगा था उस शर्मिला की हत्या भले ही सुनीलने ना की हो लेकिन उसने शर्मिला को मारने की धमकी तो दी थी ना?।
वह सुनील के दिए हुए बयान को कन्फर्म करने के लिए बैंगलोर भी गया था और सुनील ने जो कुछ भी कहा था वह सब सच था।और इससे यह भी साबित होता था कि सुनील ने ये खून नहीं किया था वह बेगुनाह है।और फिर भी बृजेश सुनील को अच्छी तरह से सबक सिखाना चाहता था।शर्मिला को दी हुई धमकी का वह बदला लेना चाहता था।
इसलिए उसने भारी आवाज़ में पूछा।
"क्या तुम उसके रिश्तेदार हो?"
"मैं उसका साला हूँ।"
जब बेहराम ने यह कहा के।
"में उसका साला हूँ"
तो बृजेश ने उसे सिर से पैर तक देखा।
“सुनील मराठी।उसकी पत्नी बंगाली और तुम हो पारसी।अब मुझे जरा ये समझाओ कि तुम सुनील के साले कैसे हो गए?”
“सर।उर्मिला मेरी मुंह बोली राखी बहन है। सगे भाई बहन से भी गहरा हमारा रिश्ता है। और मुझे सुनील भाई से थोड़ी देर बात करनी है।अगर तुम इजाज़त देते हो तो ठीक है। वरना मैं अपना रास्ता मापता हु।ताकि तुम्हारा और मेरा दोनो का टाइम बर्बाद न हो।”
बेहराम थोडा नाराज़ होते हुए बोला।
बृजेश ने थोड़ी देर कुछ सोचा और फिर कहा।
“ठीक है मैं तुम्हें पाँच मिनट देता हूँ जाओ और मिल लो अपने मुंह बोले जीजा से।”
“हरीश।इस वकील को सुनील के पास लेकर जाओ”
बेहराम सुनील से मिलने के लिए आगे बढ़ा। और उसी समय बृजेश का फ़ोन बज उठा। जैसे ही उसने स्क्रीन पर शर्मिला का नाम देखा उसके रोंगटे खड़े हो गए।कल जब उसने शर्मिला का फ़्लैट अच्छी तरह से चेक किया था तब वहां न तो उसे और न ही जयसूर्या को शर्मिला का फ़ोन मिल पाया था।
उसने शर्मिला का नंबर भी दो-तीन बार ट्राई अपने मोबाइल से किया था लेकिन वह नंबर स्विच ऑफ आ रहा था।और अब जब शर्मिला के नंबर से उसे कॉल आया तो वह चौंक पड़ा। उसने कांपती हुई उंगलियों से फोन कलेक्ट किया।
"हेलो।कौन?कौन बोल रहा है?"
शर्मिलाने दूसरी तरफ से कॉल तो मिलाया लेकिन उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल पा रहा था।
"हे..लो….."
बृजेश फिर से बोला।
और दूसरी तरफ से उसे शर्मिला की कांपती हुई आवाज सुनाई दी।
"बृ..जेश...."
वह बस इतना ही कह पाई।और फिर वह फूट-फूट कर रोने लगी।
"शर्मी..तुम….. सच मे तुम ही हो ना?"
बृजेश को एक सुखद सरप्राइज मिला था।
"तुम..तुम सुरक्षित हो शर्मी..तो जिसकी बॉडी हमने देखी थी...."
"वह..उर्मि.. मेरी जुड़वां बहेन....."
शर्मिला के आंसू रुक नहीं रहे थे।वह फोन पर जोर-जोर से रो रही थी।
"तुम.. तुम पहले रोना बंद करो और ये सब क्या है?मुझे इसके बारे में सब कुछ बताओ शर्मी।"
"मैं उर्मी की थोड़ी फाइनेंशियली हेल्प करना चाहता थी बृजेश।उर्मी को भी एक्टिंग का शौक था।तो मैंने सोचा कि अगर वो बिल्कुल मेरी तरह दिखती है तो मैं फिल्में कर लूंगी और उससे ऐड फिल्में करवाऊंगी।उसे इस तरह कुछ पैसे मिल जाएंगे तो उसकी भी माली हालात जल्द ही ठीक हो जाएगी।तो मैंने उसे ऐड फिल्म करने के लिए मना लिया। लेकिन हायरे मेरी बुरी किस्मत।मैंने तो अपनी बहन को ही खो दिया।"
"उसका मर्डर तुम्हारे फ्लैट में हुआ था शर्मी। याने कातिल तो तुम्हें मारना चाहता था। उसका निशाना तुम थी और उसने अंजाने मे उर्मिला को मार दिया।अच्छा ये बताओ की तुम्हारा कौन दुश्मन हो सकता है?तुम्हें क्या लगता है कि तुम्हें कौन मारना चाहता था? कातिल कौन हो सकता है?सुनील या रंजन? उन दोनों ने तुम्हें मारने की धमकी दी थी है ना?"
"हाँ बृजेश।ये सच है कि जीजू और रंजन ने मुझे मारने की धमकी दी थी लेकिन वो दोनों ही बेकसूर हैं।"
"क्या?..?
बृजेशने चौंकते हुवे पूछा।
“तो..तो कातिल कौन है?तुम्हें किस पर शक है शर्मी?"
"वो है......"
शर्मिलाने कातिल का नाम बताया तो सुनकर बृजेश बौखला गया।
"ये...ये तुम क्या कह रही हो शर्मी?...अब बस भी करो..झूठ बोलने की भी एक लिमिट होती है।"
"यह झूठ नहीं है बिरजू।सोलह आनी सच है...."
वह कुछ और आगे कहने जा रही थी कि उसे लगा कि कोई दरवाज़े के की-होल में चाबी लगाकर डोर खोलने की कोशिष कर रहा है।ओर वह नचिल्लाई।
"देखो!देखो शायद वो आ गया….."
वह फ़ोन फेंककर दरवाज़े की तरफ़ दौड़ी। चाबी से दरवाज़ा खुलने ही वाला था कि उसने डोर की स्टॉपर ऊपर चढा दी।
और बृजेश फोन हाथ मे थामे हक्का बक्का सा हो गया दो-पांच सेकंड के लिए।
"शर्मी.शर्मी।"
करके वह चिल्लाया।
ओर फ़ोन कान से लगाए हुए ही वो अपनी बाइक की तरफ़ लपका।
(वह कातिल कौन था?जो अभी-अभी उर्मिला के घर पहुँचा था।और बृजेश यह मानने को तैयार नहीं था कि वह कातिल हो सकता है।)