कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति )
अब तक आपने पढ़ा अनामिका को हॉस्पिटल ले जाया जाता है जहां सबको पता चलता है कि अनामिका का गर्भपात हो चुका है ! इस बात को सुनकर अभ्युदय गुस्से में आ जाता है और कारण पुछता है तो पति चलता है कि मिसकैरेज सेक्सुअली एक्टिव होने के कारण हुआ । ये सुनकर अभ्युदय अनामिका के चरित्र पर सवाल उठा जिस वजह से एसिपि कि पत्नी उसे एक जोरदार तम्माचा मारती है ...! अभ्युदय उसे भी उल्टा सीधा बोलता है तो अनामिका आकर उसे एक थप्पड़ मारा देती है इसके बाद अनामिका अपने गर्भपात का कारण बताती है कि उसके मना करने के बावजूद भी अभ्युदय नहीं रूका ..जिसे सुनकर अभ्युदय उसे एक थप्पड़ जड़ देता है ...! अनामिका नीचे गिर जाती है । यहां अभ्युदय कहता है कि वो उसका पति है तो कैसी जबरदस्ती ..! हक है उसका । ये सुनकर अनामिका गुस्से में चिख कर अभ्युदय कि मर्दानगी पर सवाल उठाती है ...! जिसके बाद अभ्युदय गुस्से में बिफर पड़ता है । ऐसिपि अभ्युदय को लेकर जेल चला जाता है लेकिन जाने से पहले वो सबको धमकी देकर जाता है कि वो किसी को छोड़ेगा नहीं और वापस आएगा .! साथ ही वो अनामिका को उसका इंतजार करने को कहता है । इसके बाद सब अभिक वंदिता के घर आ जाते हैं । जहां रात में ऐसिपि आता है उसे चोट लगी थी । वो अभिक के साथ बात करने जाता है वो अभिक को बताता है कि अभ्युदय ने भाग ने कि और उस पर हमला करने कि कोशिश करी थी । वो बात कर ही रहे थे कि दोनों को किसी के चिकने कि आवाज आई ! सब घर से बाहर आ जाते हैं जहां उन्हें अनामिका नीचे जमीन पत्र खून से लथपथ गिरी मिलती है ...! बाद में उन्हें पता चलता है कि अनामिका मर चुकी है ...! इसी के साथ अभिक चुप हो जाता है । सानवी, सक्षम बडे गौर से उसकी बात सुन रहे थे । इसके बाद सानवी ने सवाल किया कि क्या अभ्युदय को पता है अनामिका कि मौत के बारे में ? तब एसिपि बताता है कि अभ्युदय अनामिका कि मौत कि खबर सुनकर पागल सा हो गया था जिस कारण उसे मेंटल आस्लयम भेज ना पड़ा । इसके बाद सब अपने अपने घर चले गए लेकिन वो नहीं जानते थे कि उनकी टेबल के पीछे वाली टेबल पर एक शख्स बैठा था जो उनकी सारी बातें सुन रहा था । अब आगे ...!
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दोपहर हो रही थी । इस समय सुरज अपनी किरणों का प्रयोग प्रथ्वी पर तपन बढ़ाने के लिए कर रहा था । इस भरी दोपहर में एक आदमी वाइट हुड्डी पहने कहीं जा रहा था । उस के हाथ में एक थैला था जिसमें कुछ तो लाल रंग द्रव्य था । वो जल्दी से एक अप्रारटमैंट के अंदर चला गया । थोड़ी देर बाद एक वाइट कार अपार्टमेंट के गैट से बाहर आई वो शख्स उस कार में बैठा था । वो कार एक विला के सामने आकर रूकी । वो शख्स कार से निकला और विला के अंदर चला गया । वो एक अंधेरा कमरा था बस हल्की सी रोशनी थी उस छोटे से बल्ब कि जो पर्याप्त नहीं थी उस कमरे में उजाला करने के लिए । कमरे के एक कोने में कुछ दिख रहा था जो अंधेरे में डुबा हुआ था । वो एक मानव आकृति थी जो उठने कि कोशिश कर रही थी पर कमजोर होने के कारण उठ नहीं पा रही थी । आकृति ने हिम्मत करी और अपनी पुरी ताकत लगा कर बैठ गया । उस ने चाऱो तरफ देखा ; हर जगह अंधेरा होने कै बावजूद भी उस आकृति पर कोई असर नहीं हुआ । अब भला होगा भी कैसे ! वो तो एक हिम्मती पुलिस वाला था...! उसने अपने पैरों पर हाथ फेरा फिर अपने पंजों पर ! उसे बड़ी हैरानी हो रही थी कि आज उसके पैरों में कोई संक्कल नहीं थे । ( संक्कल मतलब बेड़ियां ) उसने उठने कि कोशिश करी पर गिर पड़ा । उसने एक बार फिर से यही कोशिश करी पर कुछ नहीं कर पाया । उस आकृति ने हार नहीं मानी और एक बार और उठने लगा पर इस बार वो उठता कि एक लकड़ी उसके पैरों पर आकर लगी । वो लड़खड़ा गया और गिर पडा । इसी के साथ वहां एक जोड़ी जुते के चलने कि आहट सुनाई दी ।
आकृति ने अपना चेहरा ऊपर कर देखा तो उसे सामना दो चमकती आंखें दिखाई दी , दो गहरी काली आंखें ! फिर उसकी नजर जुतो पर गई जो हल्के हल्के दिख रहे थे क्योंकि उन पर कमरे में लगे बल्ब कि रोशनी आ रही थी । वो जुते सफेद थे बिल्कुल सफेद ...!
आकृति कुछ और सोचती कि उसे एक आवाज आई " आ ही गया आखिर इतने इंतजार के बाद वो समय आ ही गया ! "" बड़ा इंतजार कराया बहुत तड़पाया ! सच कहूं तुम ने मुझे अपनी याद में बहुत रूलाया !! "" पर इन सबके बाद वो समय आ गया मेरा यार आ ही गया ...! "इतना कहने के बाद उस कमरे में एक हंसी सुन दि । एक वहशी हंसी ..!
उस आकृति ने अपनी आंख कसकर बंद कर ली । वो इस आवाज को पहचानता था बड़ी अपनी ही आवाज थी ये उसके लिए !
तभी उसे फिर आवाज आई " कैसे हो आग्नेय ? "" मै तुम्हे याद तो हूं ना ! मैं तेरा यार ' अभ्युदय ' "इतना बोलने के साथ अभ्युदय वहां लाइट जला देता है ।
वो कमरा जो अब तक अंधेरे में डुबा था उसमें उजाले ने अपना घर बसा लिया था ।सामने जो आकृति थी उसकी आंखें छोटी हो गई और वो अपने सामने खड़े इस सफेद मानुष को देखने लगा ।
अभ्युदय अपनी आंखें नचाते हुए बोला " जानता हूं कि मैं सुंदर पर अब तुम ऐसे तो मत देखो ! मेरी अनामिका को अच्छा नहीं लगेगा ...! "
आग्नेय उसे घूरने लगा जिस पर अभ्युदय बोला " हां मेरी अनामिका....! जिसे तुमने मुझ से छीन लिया ......! "" जानता हूं यही पुछोगे कि ' ये हत्याएं क्यूं कर रहा हूं मैं ..! ' तो तुम्हारे इस सवाल का जवाब दे ही देता हूं । "अभ्युदय कि आवाज ठंडी और सर्द हो गई थी उसकी आंखों में गुस्सा धधक रहा था ।
" जब मैं तड़प रहा हूं उन यादों के साथ , अपनी अनामिका कि याद में मर रहा हूं , रो रहा हूं तो तुम और अभिक कैसे खुश रह सकते हो ! तुम्हें भी तो खोना होगा ना । याद है ! एक वादा किया था हमने कि एक दुसरे को दुख में कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे , सब दर्द मुश्किलें एक साथ सहेंगे ...! याद है तुम्हे ...! "" ये वादा क्यो तोडा ? जब मैं दर्द में था सब मुझे अकेला छोड़ गए उस....उस पागल खाने में ..! सोचा भी है कैसे रह रहा था मैं वहां ! हर दिन अपने दर्द के साथ तड़प रहा था मर रहा था । जरूरत थी तुम दोनों कि पर कोई नहीं आया छोड़ दिया ...! "" बस अपनी बिवीयों के कारण ...! देखा जाए तो मेरी अनामिका को भी तेरी बीवी और वंदिता ही मुझ से दूर ले गई ...! इन दोनों ने ही अनु को खुदकुशी करने पर मजबूर किया था तो मैंने भी इन दोनों को खुदकुशी करने पर मजबूर किया । बहुत मजा आया था दोनों को मारने में ... तड़पाने में...!!!! "
इतना बोलने के साथ अभ्युदय ने अपने सामने दिवार पर लगी एसीपी कि पत्नी और वंदिता कि फोटो कि तरफ देखा । इन में दोनों के मरने से पहले की तस्वीरें थी । अभ्युदय हंसने लगा । उसकी हंसी में पागल पन नजर आ रहा था । ।
जारी है !
इस भाग में बस इतना ही । मिलते हैं अगले भाग के साथ ।
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