Mere Ishq me Shamil Ruhaniyat he - 13 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 13

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 13

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🌙 एपिसोड 13
 
“दरभंगा की पुस्तकालय और हवेली का असली राज़”
(मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत)
 
⏳ यात्रा की तैयारी
 
सुबह की हल्की किरणों के साथ हवेली में फिर से सरगर्मी लौट आई थी। पिछली रात की वो रहस्यमयी आवाज़ अब भी सबके दिलों में गूंज रही थी।
काव्या ने धीरे से कहा –
“दरभंगा की पुस्तकालय… वहीं छिपा है हवेली का असली सच।”
 
अनाया की आँखों में डर और जिज्ञासा दोनों थे। उसने विवान की तरफ देखा।
विवान ने दृढ़ स्वर में कहा –
“जो भी सच होगा, हम साथ मिलकर जानेंगे। कोई हमें अलग नहीं कर सकता।”
 
आर्यन ने दस्तावेज़ हाथ में लेते हुए कहा –
“पर ये रास्ता आसान नहीं होगा। शायद हमें दुश्मनों का सामना भी करना पड़े।”
 
रूहानी हँसते हुए बोली –
“तो क्या हुआ? डर हमसे डरना चाहिए, हम उससे नहीं!”
सबके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई, लेकिन भीतर-भीतर तनाव अब भी था।
 
 
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🌹 अनाया और विवान – दिलों की नज़दीकी
 
यात्रा से पहले अनाया अपने कमरे में आई। वह आईने के सामने खड़ी थी, पर मन कहीं और भटका हुआ। तभी पीछे से विवान आया और उसके कंधे पर हाथ रखा।
 
“डरी हुई हो?” – उसने पूछा।
 
अनाया ने धीमे स्वर में कहा –
“हाँ… डर है कि कहीं ये रहस्य हमारी मोहब्बत को निगल न जाए।”
 
विवान ने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया। उसकी नज़रों में पूरा भरोसा था।
“अनाया, मोहब्बत कोई कमज़ोरी नहीं… ये हमारी सबसे बड़ी ताक़त है। अगर रहस्य हमें आज़माएगा, तो मैं हर बार तुम्हें थाम लूँगा।”
 
अनाया की आँखों से आँसू छलक पड़े। उसने सिर झुकाकर कहा –
“तुम्हारे बिना… मैं कुछ भी नहीं।”
 
विवान ने उसके होंठों पर गहरा किस रखा। वो किस कोई सामान्य स्पर्श नहीं था, बल्कि दिल से निकला हुआ वादा था—
“हमेशा साथ रहने का।”
 
उस पल अनाया का डर पिघल गया। वह विवान की छाती से लगकर सिर्फ उसकी धड़कनें सुनती रही।
 
 
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🌌 दरभंगा की ओर सफ़र
 
दोपहर होते-होते सब हवेली से निकल पड़े। गाड़ी दरभंगा की ओर दौड़ रही थी। रास्ते में पुराने पेड़ों की छाँव और सुनसान गलियाँ रहस्य को और गहरा बना रही थीं।
 
रूहानी खिड़की से बाहर देखते हुए बोली –
“वाह! दरभंगा की हवा में तो कुछ और ही बात है।”
 
काव्या ने कहा –
“हाँ, लेकिन इस हवा में कहीं न कहीं छिपा है अतीत का बोझ भी।”
 
आर्यन चुपचाप सोचों में डूबा था। शायद अपने पिता प्रमोद मेहरा का सच जानने की बेचैनी उसे भीतर से तोड़ रही थी।
 
विवान और अनाया पिछली सीट पर साथ बैठे थे। विवान ने उसका हाथ कसकर पकड़ा हुआ था।
“जब तक मैं हूँ, तुम्हें कोई नहीं तोड़ सकता।”
 
अनाया उसकी आँखों में देखती रही। चुपचाप, पर भीतर ही भीतर उसकी मोहब्बत और गहरी हो चुकी थी।
 
 
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📜 पुरानी पुस्तकालय का रहस्य
 
शाम होते-होते वे दरभंगा की उस पुरानी पुस्तकालय पहुँचे। जगह वीरान थी। धूल से ढकी किताबें और टूटी खिड़कियाँ एक अजीब-सा डर पैदा कर रही थीं।
 
जैसे ही वे अंदर दाख़िल हुए, दरवाज़ा अपने आप चर्र-चर्र की आवाज़ के साथ बंद हो गया।
 
अनाया ने घबराकर विवान का हाथ कसकर पकड़ लिया।
“विवान… ये जगह तो बहुत अजीब लग रही है।”
 
विवान ने उसे अपनी बाहों में लिया।
“डरो मत, मैं हूँ।”
 
अचानक रूहानी ने पुकारा –
“अरे, यहाँ देखो! दीवार पर एक नक्शा बना है।”
 
सब दौड़े। नक्शे में हवेली और उसके नीचे बने गुप्त तहख़ाने का चित्र उभरा हुआ था।
काव्या ने धीमे स्वर में कहा –
“यानी सच अभी अधूरा है। हवेली के नीचे कोई गुप्त तहख़ाना है… जहाँ शायद सबका जवाब छिपा है।”
 
 
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🌹 मोहब्बत की रुमानियत
 
जांच-पड़ताल के बाद सब थके हुए पुस्तकालय के कोने में बैठ गए। अंधेरा बढ़ रहा था। बाहर चाँद की हल्की रोशनी अंदर झाँक रही थी।
 
अनाया अकेली खिड़की के पास चली गई। हवा उसके बालों से खेल रही थी।
विवान उसके पीछे आया और धीरे से कहा –
“जानती हो, ये चाँदनी आज और खूबसूरत क्यों लग रही है?”
 
अनाया मुस्कुराई – “क्यों?”
“क्योंकि इसमें तुम्हारा चेहरा चमक रहा है।”
 
अनाया ने शरमाकर नज़रें झुका लीं।
विवान ने उसका हाथ थामा और फुसफुसाया –
“अनाया, इस रहस्य की अंधेरी दुनिया में, तुम मेरी सबसे प्यारी रौशनी हो। तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूँ।”
 
अनाया की आँखें छलक आईं। उसने धीमे स्वर में कहा –
“और तुम… मेरे दिल की सबसे गहरी धड़कन।”
 
विवान ने उसके माथे पर किस किया। फिर उसके होंठों को अपने होंठों से छू लिया।
यह पल इतना गहरा था कि बाहर की सारी परछाइयाँ जैसे थम गईं।
 
उनकी मोहब्बत की रुमानियत उस वीरान पुस्तकालय को भी ज़िंदा कर रही थी।
 
 
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⚡ अचानक का साया
 
लेकिन तभी पीछे से एक परछाई हिली।
सबने चौंककर देखा।
 
आर्यन ने आवाज़ दी – “कौन है वहाँ?”
 
दीवारों में गूँजती आवाज़ आई –
“तुम सच के और करीब आ गए हो… पर सच हमेशा मोहब्बत को तोड़ देता है।”
 
अनाया ने घबराकर विवान की बाँह पकड़ ली।
विवान ने उसकी आँखों में देखा और दृढ़ता से कहा –
“हमारी मोहब्बत कोई रहस्य या परछाई नहीं तोड़ सकती।”
 
 
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🌪️ हुक लाइन (Suspense Ending)
 
दीवार की दरार से अचानक एक पुरानी किताब नीचे गिरी।
किताब पर लिखा था –
“रूह बनी मोहब्बत – पहला ग्रंथ”
 
काव्या ने हैरानी से कहा –
“यानी ये सब… सिर्फ हवेली की कहानी नहीं, बल्कि सदियों पुरानी रूहानी मोहब्बत का राज़ है।”
 
सबने एक-दूसरे को देखा।
अनाया ने विवान का हाथ कसकर पकड़ लिया।
 
क्या यह किताब उनके अतीत और वर्तमान को जोड़ देगी?
क्या मोहब्बत सच की सबसे बड़ी कुंजी बनेगी… या सबसे बड़ा इम्तिहान?
 
👉 अगला एपिसोड जल्द ही… “रूह बनी मोहब्बत – तहख़ाने का पहला दरवाज़ा”