cruel love in Hindi Love Stories by Vijay Sharma Erry books and stories PDF | बेदर्दी प्यार

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बेदर्दी प्यार

बेदर्दी प्यार 

✍️ लेखक – विजय शर्मा एरी


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प्रस्तावना

कभी-कभी प्यार वह ख़्वाब होता है, जिसे आँखें बंद करके भी देखा जा सकता है। लेकिन जब वही प्यार बेवफाई में बदल जाए, तो ज़िंदगी का हर रंग फीका पड़ जाता है। यह कहानी भी ऐसी ही एक लड़की अनामिका की है, जिसने सच्चे दिल से प्यार किया, पर बदले में उसे मिला सिर्फ़ धोखा, इंतज़ार और दर्द।


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पहला अध्याय – मुलाक़ात

कॉलेज का पहला दिन था। अमृतसर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज की भीड़-भाड़ वाली गलियों में अनामिका अपने नए सपनों और उम्मीदों के साथ दाख़िल हो रही थी। लंबी चोटी, बड़ी-बड़ी आँखें और चेहरे पर मासूमियत की चमक।

क्लास में बैठते ही उसकी नज़र बेंच के दूसरी ओर बैठे एक लड़के पर पड़ी। उसका नाम था अर्जुन। हंसता हुआ चेहरा, आत्मविश्वासी चाल और बातें करने का अनोखा ढंग… मानो सबकी नज़रें उसी पर टिक जाएँ।

क्लास ख़त्म होते ही उसने मुस्कुराकर अनामिका से कहा –

अर्जुन – "हाय, तुम नई हो न? मेरा नाम अर्जुन है।"
अनामिका (हल्की झिझक के साथ) – "जी… मैं अनामिका।"
अर्जुन – "सुंदर नाम है… और तुम भी।"

अनामिका के गाल लाल हो गए। दिल की धड़कनें तेज़ हो उठीं। उसे एहसास भी न हुआ कि यह साधारण-सी मुलाक़ात उसके जीवन की सबसे बड़ी कहानी की शुरुआत बनने वाली है।


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दूसरा अध्याय – प्यार की शुरुआत

दिन बीतते गए। अर्जुन और अनामिका एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए। कैंटीन की कॉफी, लाइब्रेरी के कोने और कैंपस की हरी घास पर घंटों बैठकर दोनों अपनी छोटी-बड़ी बातें साझा करने लगे।

एक दिन अर्जुन ने अनामिका से कहा –

अर्जुन – "अनामिका, मुझे लगता है तुम मेरी ज़िंदगी की सबसे ख़ास इंसान हो। जब तुम पास होती हो तो दुनिया और भी खूबसूरत लगती है।"

अनामिका ने पहली बार उसकी आँखों में सीधे देखा। उन आँखों में मानो अनगिनत वादे और सपने तैर रहे थे।

अनामिका – "क्या सच में अर्जुन? मैं तो हमेशा डरती थी कि कहीं मैं तुम्हारे लायक न निकलूँ।"
अर्जुन – "पागल हो क्या? तुमसे बढ़कर मेरे लिए कोई हो ही नहीं सकता।"

उस दिन दोनों ने कॉलेज की छत पर खड़े होकर चाँदनी रात में अपने प्यार का इज़हार किया।


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तीसरा अध्याय – मासूम मोहब्बत

प्यार की खुशबू में दोनों के दिन उड़ते पंखों जैसे गुजरने लगे। अर्जुन उसे अक्सर अपने बाइक पर लंबी सैर के लिए ले जाता। कभी झील के किनारे बैठकर गीत गाते, तो कभी पार्क की बेंच पर भविष्य के सपने बुनते।

अनामिका – "अर्जुन, मुझे लगता है जैसे हमारी कहानी कभी ख़त्म ही नहीं होगी।"
अर्जुन – "हमारी कहानी तो वो होगी, जिसे लोग मिसाल मानेंगे।"

अनामिका का भरोसा अर्जुन पर दिन-ब-दिन गहराता जा रहा था। उसने अपने परिवार से छुपाकर उसके साथ हर लम्हा जिया, मानो वही उसकी पूरी दुनिया हो।


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चौथा अध्याय – बदलता रंग

लेकिन वक्त का रंग हमेशा एक-सा नहीं रहता। धीरे-धीरे अर्जुन का बर्ताव बदलने लगा। अब वह ज़्यादा व्यस्त रहने लगा। कभी फ़ोन उठाता, कभी नहीं। कभी बहाने बनाकर मिलने से कतराने लगा।

एक दिन अनामिका ने कहा –

अनामिका – "अर्जुन, क्या हुआ? तुम पहले जैसे क्यों नहीं रहे?"
अर्जुन (लापरवाही से) – "कुछ नहीं, बस पढ़ाई और प्रोजेक्ट्स की टेंशन है। तुम फालतू सोचती हो।"

अनामिका चुप हो गई, लेकिन उसके दिल में बेचैनी बढ़ गई।


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पाँचवाँ अध्याय – सच्चाई का सामना

कुछ हफ़्तों बाद कॉलेज की पार्टी थी। अनामिका पूरे जोश में वहाँ पहुँची। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र स्टेज पर गई, उसके कदम ठिठक गए। अर्जुन वहाँ एक और लड़की नेहा के साथ डांस कर रहा था। उनकी हंसी और करीबियाँ देखकर अनामिका का दिल काँप उठा।

पार्टी के बाद उसने अर्जुन से सवाल किया –

अनामिका – "अर्जुन, ये क्या है? नेहा तुम्हारे लिए कौन है?"
अर्जुन (ठंडे स्वर में) – "नेहा मेरी दोस्त है… और शायद अब मुझे वही पसंद है।"
अनामिका (आँखों में आँसू) – "क्या? तो हमारा प्यार? हमारे वादे?"
अर्जुन – "देखो अनामिका, प्यार कोई ज़बरदस्ती नहीं है। मुझे अब तुमसे वो एहसास नहीं होता।"

ये सुनकर अनामिका की पूरी दुनिया बिखर गई। जिस इंसान को उसने अपना सबकुछ माना, वही उसे बेदर्दी से छोड़ गया।


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छठा अध्याय – टूटा दिल

रातभर अनामिका रोती रही। उसे लगा जैसे उसके अंदर की सारी खुशियाँ मर गई हों।

अनामिका (अपने आप से) – "क्यों किया तुमने ऐसा अर्जुन? मैंने तो हर लम्हा सच्चे दिल से जिया था। तुमने मेरे प्यार को इतना सस्ता कैसे बना दिया?"

वो अपने दोस्तों से छुपकर, अकेले अपने आँसुओं में डूबने लगी। पढ़ाई, हंसी, सपने – सब कुछ धुंधला पड़ने लगा।


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सातवाँ अध्याय – दर्द का गीत

जब दिल टूटा, तो हर चीज़ में वही दर्द झलकने लगा। कॉलेज के कोने में बैठकर वह अक्सर गुनगुनाती –

"प्यार बेदर्दी है, दिल तोड़ जाता है…
जिसे अपना मानो वही गैर हो जाता है…"

उसकी आँखों की मासूमियत अब आँसुओं से धुंधली हो चुकी थी।


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आठवाँ अध्याय – सामना

एक दिन अर्जुन सामने से आया। उसके साथ वही नेहा थी। अर्जुन ने अनामिका की ओर देखा भी नहीं।

अनामिका ने हिम्मत जुटाकर कहा –

अनामिका – "अर्जुन, कम से कम एक बात तो बता दो… क्यों किया तुमने ये सब?"
अर्जुन – "अनामिका, सच कहूँ तो मुझे तुम्हारा मासूम प्यार बस एक आकर्षण लगा। नेहा मेरे लाइफ़स्टाइल के हिसाब से बेहतर है। तुम बहुत भावुक हो।"

यह सुनकर अनामिका की आत्मा तक घायल हो गई।


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नौवाँ अध्याय – नया मोड़

समय बीता, और अनामिका धीरे-धीरे अपने दर्द को ताक़त में बदलने लगी। उसने ठान लिया कि अब वो अपनी ज़िंदगी सिर्फ आँसुओं में नहीं बिताएगी।

उसने पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया, कविताएँ लिखनी शुरू कीं और कॉलेज के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने लगी।

लोग कहते – "अनामिका में एक अलग चमक है।"
लेकिन वो जानती थी कि ये चमक उसके टूटे हुए दिल की राख से निकली है।


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दसवाँ अध्याय – पछतावा

उधर अर्जुन की ज़िंदगी वैसी नहीं रही जैसी उसने सोची थी। नेहा ने भी कुछ महीनों में उसे छोड़ दिया। दोस्तों का साथ भी छूट गया। जब उसने अनामिका की सफलता और आत्मविश्वास देखा, तो उसे अपने किए पर पछतावा हुआ।

एक दिन वह अनामिका के पास आया –

अर्जुन – "अनामिका… मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हें खोकर बहुत बड़ी गलती की।"
अनामिका (शांत स्वर में) – "अर्जुन, प्यार तो मैंने किया था, सौदेबाज़ी नहीं। तुमने मुझे छोड़कर मेरा दिल तोड़ दिया, लेकिन मैंने उससे ज़िंदगी जीना सीखा। अब तुम्हारे लिए मेरे पास सिर्फ़ खामोशी है।"

अर्जुन चुप रह गया।


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ग्यारहवाँ अध्याय – अंत और संदेश

अनामिका ने सीखा कि सच्चा प्यार कभी किसी से उम्मीद नहीं रखता। वह अब एक जानी-मानी कवयित्री बन चुकी थी, जिसकी कविताओं में दर्द, मोहब्बत और आत्मबल झलकता था।

लोग उसकी लिखी एक पंक्ति को हमेशा याद रखते –

"प्यार बेदर्दी हो सकता है,
पर दिल की सच्चाई कभी हारती नहीं।
जिसने धोखा दिया, वो खो गया…
और जिसने सहा, वही अमर हो गया।"


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उपसंहार

"प्यार बेदर्दी" सिर्फ़ एक लड़की की कहानी नहीं, बल्कि हर उस इंसान की आवाज़ है जिसने सच्चे दिल से प्यार किया और बदले में दर्द पाया।

अनामिका की तरह हमें भी यह सीखना चाहिए कि धोखा ज़िंदगी का अंत नहीं होता, बल्कि एक नया मोड़ होता है – जहाँ हम टूटकर और भी मज़बूत बनते हैं।


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✍️ लेखक – विजय शर्मा एरी


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यह कहानी लगभग 2200 शब्दों के आस-पास है, जिसमें गहरी भावनाएँ, दर्द, प्यार और संवाद शामिल हैं।