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🌙 एपिसोड 17 : “मेरे इश्क़ में शामिल रुहानियत – रूह का इम्तिहान”
नीली रेखा अब भी ज़मीन पर चमक रही थी।
विवान और अनाया उसके एक ओर खड़े थे, और दूसरी तरफ़ वो रूह — जो नफरत में जल रही थी।
उसकी आँखों में अंधेरे की लपटें थीं, जैसे वो सदियों से किसी बदले की आग में कैद हो।
अनाया ने धीरे से कहा —
“विवान… ये वही है, जिसने हमें पिछले जन्म में अलग किया था।”
विवान की आँखें ठंडी मगर दृढ़ थीं —
“तो इस जन्म में मैं इसे हमें तोड़ने नहीं दूँगा।”
रूह ने ठहाका लगाया —
“मोहब्बत बड़ी बात करती है, मगर याद है, पिछले जन्म में तुमने किससे वादा तोड़ा था?”
अनाया ने सिर झुकाया —
“अगर हमने कोई भूल की थी… तो आज उसे सुधारेंगे।”
हवा में अचानक गुलाबों की ख़ुशबू फैल गई,
मानो अनाया की बात सुनकर हवेली ने भी करुणा दिखाई हो।
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🌹 रूह और इश्क़ के बीच पहला टकराव
रूह आगे बढ़ी, उसके कदमों के साथ नीली लपटें ज़मीन पर गिरने लगीं।
विवान ने अनाया का हाथ कसकर थाम लिया —
“पीछे मत हटना। ये वही वक्त है, जहाँ रूह और इश्क़ की सच्चाई टकराएगी।”
अनाया की आवाज़ काँप रही थी, मगर दिल में हिम्मत थी —
“अगर इश्क़ सच्चा हो तो मौत भी सिर झुका देती है।”
वो दोनों एक-दूसरे के बहुत करीब आ गए,
उनकी धड़कनों की आवाज़ उस तहख़ाने में गूँज रही थी।
विवान ने उसके माथे को छुआ —
“जब तू मेरे पास होती है, तो अंधेरा भी रोशनी लगने लगता है।”
अनाया ने हल्की मुस्कान के साथ कहा —
“तो फिर आज हम इस अंधेरे को मोहब्बत से मिटाएँगे।”
उनकी हथेलियाँ जुड़ीं, और नीली रेखा में हलचल होने लगी।
रूह की चीख़ गूँज उठी —
“नहीं! ये इश्क़… मुझे फिर से जला देगा!”
विवान ने आँखें बंद कीं और कहा —
“रूह का जन्म नफरत से हुआ होगा, लेकिन इश्क़ हर जन्म को नया बनाता है।”
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⚡ रूह का इम्तिहान शुरू
नीली रेखा अचानक हवा में उठने लगी।
उसके भीतर अनगिनत तस्वीरें घूमने लगीं —
कभी अतीत के दृश्य, कभी वो क्षण जब अनाया और विवान पिछले जन्म में जुदा हुए थे।
रूह बोली —
“अगर सच्चे हो, तो अपने पुराने पापों को पहचानो!”
एक पल में हवेली का फर्श पिघल गया,
और दोनों एक नयी जगह जा पहुँचे —
एक पुरानी झील के किनारे, जहाँ चाँदनी में पानी नीला चमक रहा था।
अनाया ने चारों ओर देखा —
“ये वही झील है जहाँ हमने कसम खाई थी, ना?”
विवान ने उसकी ओर देखा —
“हाँ, और यहीं वो रात थी… जब हमने मोहब्बत का वादा किया था, जिसे अधूरा छोड़ दिया गया।”
उनकी आँखों में वो बीता हुआ दर्द फिर से जिंदा हो गया।
विवान झील के किनारे झुका, पानी को छुआ —
“रूह का इम्तिहान यही है —
क्या हम अपनी पिछली भूलों को स्वीकार कर सकते हैं?”
अनाया उसके पास बैठ गई,
उसकी आवाज़ में नर्मी थी —
“हमने तब प्यार किया था, बिना समझे कि किस्मत क्या माँग रही है।
आज अगर हम समझ चुके हैं… तो वही प्यार हमें मुक्त करेगा।”
विवान ने उसके गालों पर हाथ रखा,
धीरे से कहा —
“अगर मेरा इश्क़ तेरी रूह में बस गया है,
तो कोई अंधेरा हमें छू भी नहीं सकता।”
उनके होंठ एक-दूसरे के पास आए,
पर उसी पल हवा काँपी —
रूह की चीख़ फिर गूँजी —
“प्यार की ये गर्मी… मुझे जला रही है!”
आसमान में बिजली कौंधी,
नीली लपटों ने उन्हें घेर लिया।
विवान ने अनाया को अपनी बाहों में कस लिया —
“डर मत! अब जो होगा, साथ होगा!”
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💞 अतीत से मिलन
लपटें धीरे-धीरे थम गईं।
अब वे दोनों उसी पुराने मंदिर में खड़े थे, जहाँ सदियों पहले उनका विवाह अधूरा रह गया था।
दीवारों पर दीपक अपने आप जल उठे।
मंदिर की मूर्तियों से धीमी-धीमी रोशनी झर रही थी।
अनाया ने चारों ओर देखा —
“विवान… लगता है ये वही पल है… जिसे हमें पूरा करना था।”
विवान ने मुस्कुरा कर कहा —
“तो चलो, इस बार कोई वादा अधूरा नहीं रहेगा।”
वो घुटनों पर झुका, अपनी हथेली आगे बढ़ाई —
“अनाया… क्या तू फिर से इस रूह के संग अपना हर जन्म बाँटना चाहेगी?”
अनाया की आँखें भर आईं।
उसने धीरे से कहा —
“जब से मैंने तुझे देखा है, मेरी रूह तुझसे अलग रह ही नहीं सकती।
हाँ, मैं तेरा हर जन्म स्वीकार करती हूँ।”
विवान ने उसका हाथ थामा,
उनकी हथेलियों से नीली रोशनी उठी, जो धीरे-धीरे आसमान में फैलने लगी।
मंदिर की घंटियाँ अपने आप बज उठीं,
जैसे रूह और इश्क़ का मिलन साक्षी बन गया हो।
वो दोनों एक-दूसरे के इतने करीब आए कि हवा में बस उनका अस्तित्व रह गया।
वो पल… एक चुपचाप इकरार था —
जिसे कोई शब्द बयान नहीं कर सकता था।
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⚡ परछाई की वापसी
मंदिर की रोशनी अचानक बुझने लगी।
वो रूह फिर उभरी — पर इस बार उसका चेहरा शांत था।
वो बोली —
“मोहब्बत ने मुझे हराया नहीं… मुझे मुक्त किया है।”
उसकी आँखों से अब रोशनी झर रही थी,
नफरत की जगह सुकून था।
वो आगे बढ़ी और बोली —
“तुम दोनों ने वो कर दिखाया, जो मैं कभी नहीं कर सकी —
मोहब्बत में खुद को खो देना।”
वो धीरे-धीरे हवा में घुल गई,
और मंदिर में बस गुलाबों की ख़ुशबू रह गई।
विवान ने अनाया को देखा —
“शायद अब अंधेरा खत्म हो गया।”
अनाया ने मुस्कुराते हुए सिर उसके सीने पर रख दिया —
“नहीं… अब मोहब्बत का नया जन्म शुरू हुआ है।”
उनकी साँसें एक-दूसरे में घुलती चली गईं।
बाहर बारिश की हल्की बूँदें गिरने लगीं,
जैसे आसमान भी उनके मिलन को आशीर्वाद दे रहा हो।
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🌌 हुक लाइन (Suspense Ending)
मंदिर की आख़िरी दीवार पर अचानक एक नया प्रतीक चमका —
एक लाल चिह्न, जिसमें लिखा था —
> “इम्तिहान तो बस पहला था…
अगला इम्तिहान तुम्हारे अपने लोगों से होगा।”
विवान ने हैरानी से दीवार को देखा —
“अपने लोग?”
अनाया ने धीरे से कहा —
“मतलब… वो जो हमारे साथ हैं, वही अब हमारे ख़िलाफ़ होंगे।”
हवा में घंटी की गूँज सुनाई दी,
और उनके पीछे किसी के कदमों की आहट आई।
वो पलटकर देखे ही थे कि —
सामने रूहानी खड़ी थी,
उसकी आँखों में नीली चमक और होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान थी।
विवान के होश उड़ गए —
“रूहानी… तुम यहाँ?”
रूहानी ने धीमे स्वर में कहा —
“अब मेरी बारी है…
देखते हैं, मोहब्बत मुझे बचाती है या मिटाती है।”
🌹 जारी रहेगा…
अगला भाग —
✨ “रूहानी का रहस्य – इश्क़ और धोखे की दहलीज़”