an incomplete love story in Hindi Love Stories by Vijay Sharma Erry books and stories PDF | एक अधूरी प्रेम कहानी

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एक अधूरी प्रेम कहानी

एक अधूरी प्रेम कहानी
लेखक: विजय शर्मा एरी
शहर की चकाचौंध और भीड़-भाड़ से दूर, हिमाचल की वादियों में बसा था एक छोटा-सा गांव, कसोल। कुल्लू नदी के किनारे, चीड़ के पेड़ों से घिरा यह गांव प्रकृति का एक अनमोल तोहफा था। सुबह की पहली किरण के साथ नदी का कल-कल बहना, पक्षियों का चहचहाना, और भेड़ों की घंटियों की आवाज—सब कुछ एक सपने जैसा था। यहीं रहते थे आरव और मायरा, दो ऐसे दिल जो एक-दूसरे के लिए धड़कते थे, मगर उनकी कहानी पूरी होने से पहले ही अधूरी रह गई।
पहली मुलाकात
आरव एक साधारण-सा लड़का था। उसका परिवार कसोल में एक छोटी-सी चाय की दुकान चलाता था। उसकी जिंदगी सादी थी—सुबह दुकान खोलना, पर्यटकों को चाय और स्माइल के साथ दिन की शुरुआत करना, और शाम को नदी किनारे गिटार की धुन छेड़ना। उसकी मुस्कान में एक जादू था, और उसकी आंखों की चमक हर किसी को अपनी ओर खींच लेती थी।
मायरा दिल्ली की एक मशहूर फोटोग्राफर थी। शहर की भागदौड़ और तनाव से थककर वह सुकून की तलाश में कसोल आई थी। उसकी तस्वीरें जिंदगी की गहराई को बयां करती थीं, मगर उसका दिल हमेशा अधूरा-सा महसूस करता था। उसे लगता था कि उसकी जिंदगी में कुछ कमी है, शायद इन पहाड़ों में उसे वह जवाब मिल जाए।
एक शाम, मायरा नदी किनारे सूर्यास्त की तस्वीरें खींच रही थी। उसकी नजर आरव पर पड़ी, जो एक चट्टान पर बैठकर गिटार बजा रहा था। उसकी धुन में एक अजीब-सी कशिश थी, जो मायरा को रोकने पर मजबूर कर रही थी। उसने बिना सोचे उसकी तस्वीर खींच ली। कैमरे की ‘क्लिक’ की आवाज से आरव का ध्यान टूटा। उसने मुड़कर देखा और हल्के से मुस्कुराया।
"मेरी तस्वीर लेने से पहले इजाजत तो ले लेतीं," उसने मजाक में कहा।
मायरा थोड़ा झेंप गई। "सॉरी, बस... तुम्हारी धुन इतनी खूबसूरत थी कि मैं खुद को रोक न सकी।"
"धुन खूबसूरत थी, या मैं?" आरव ने हंसते हुए पूछा।
मायरा भी हंस पड़ी। "शायद दोनों।"
उस शाम, नदी किनारे, दोनों ने घंटों बातें कीं। मायरा ने अपनी फोटोग्राफी और दिल्ली की जिंदगी के बारे में बताया, जबकि आरव ने अपनी सादी जिंदगी और गिटार के प्रेम को साझा किया। उनकी दुनिया बिल्कुल अलग थी, मगर उस पल में ऐसा लगा जैसे वे एक-दूसरे के लिए ही बने हों।
प्यार का रंग
अगले कुछ दिन दोनों एक-दूसरे के साथ घूमने लगे। आरव मायरा को कसोल की हर छोटी-बड़ी जगह दिखाने में मगन था। वे मणिकर्ण के गर्म झरनों में गए, तोष की पगडंडियों पर भटके, और पार्वती घाटी के जंगलों में खो गए। मायरा ने अपनी हर तस्वीर में आरव को कैद करना शुरू कर दिया। उसकी मुस्कान, उसकी आंखों की चमक—सब कुछ उसके लिए खास था।
एक रात, जब दोनों एक पहाड़ी की चोटी पर सितारों को निहार रहे थे, मायरा ने कहा, "आरव, तुम इतने सादे हो, फिर भी तुममें कुछ ऐसा है जो मुझे बार-बार अपनी ओर खींचता है।"
आरव ने उसकी आंखों में देखा और बोला, "और तुम... तुम शहर की वो लड़की हो, जो मेरे इस छोटे से गांव में मेरी दुनिया बन गई है।"
उस रात, सितारों की छांव में, दोनों ने एक-दूसरे को अपने दिल की बात कही। यह कोई औपचारिक वादा नहीं था, मगर एक ऐसा बंधन था जो शब्दों से परे था। मायरा को पहली बार लगा कि उसका दिल अब अधूरा नहीं है।
टीवी पर वो जोड़ा
कसोल में दो हफ्ते बीत चुके थे, और मायरा को दिल्ली लौटना था। उसका करियर, उसकी जिम्मेदारियां उसे पुकार रही थीं। दूसरी ओर, आरव की जिंदगी इन वादियों में बंधी थी। वह अपने गांव, अपने परिवार, और अपनी सादगी से प्यार करता था। दोनों जानते थे कि उनकी राहें अलग होने वाली हैं, मगर इस सच को स्वीकार करना आसान नहीं था।
जाने से एक रात पहले, मायरा और आरव एक छोटे से गेस्टहाउस में बैठे थे। वहां एक पुराना टीवी चल रहा था, जिसमें एक रोमांटिक फिल्म दिखाई जा रही थी। स्क्रीन पर एक जोड़ा था, जो एक-दूसरे से प्यार तो करता था, मगर उनकी परिस्थितियां उन्हें अलग कर रही थीं। मायरा की नजर टीवी पर पड़ी, और अचानक उसके दिमाग में एक ख्याल कौंधा—क्या मैं भी उसी समस्या से जूझ रही हूं? या शायद मेरी कहानी उससे भी जटिल है?
उसने आरव की ओर देखा और कहा, "आरव, क्या हम इस प्यार को बचा सकते हैं? मैं नहीं चाहती कि यह सिर्फ एक खूबसूरत याद बनकर रह जाए।"
आरव चुप रहा। फिर धीरे से बोला, "मायरा, प्यार को जबरदस्ती बांधा नहीं जाता। अगर यह सच्चा है, तो यह अपनी राह खुद बना लेगा।"
मायरा की आंखों में आंसू थे। वह जानती थी कि आरव सही है, मगर उसका दिल इस सच को मानने को तैयार नहीं था। अगले दिन, जब वह दिल्ली के लिए रवाना हुई, उसने आरव को एक तस्वीर दी—उन दोनों की, जो उसने पहली मुलाकात में खींची थी। "इसे रखना," उसने कहा, "शायद ये हमें फिर मिलाए।"
दूरी और यादें
दिल्ली लौटने के बाद मायरा अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गई। उसकी तस्वीरें अब बड़े-बड़े मैगजीन्स में छप रही थीं। उसने कई देशों की यात्रा की, मगर हर तस्वीर में उसे आरव की कमी खलती थी। वह अक्सर उस तस्वीर को देखती, जो उसने आरव को दी थी। उसने कई बार उसे फोन करने की सोची, मगर हर बार हिम्मत हार गई। उसे डर था कि शायद आरव ने उसे भुला दिया हो।
कसोल में, आरव अपनी जिंदगी में उसी तरह जी रहा था। वह हर शाम नदी किनारे बैठकर गिटार बजाता और मायरा को याद करता। उसने कभी मायरा को फोन नहीं किया, क्योंकि उसे लगता था कि वह उसकी चमकती दुनिया में फिट नहीं हो सकता। मगर उसकी हर धुन में मायरा की यादें बसी थीं।
एक आखिरी मुलाकात
एक साल बाद, मायरा को एक फोटोग्राफी असाइनमेंट के लिए फिर से कसोल जाना पड़ा। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। वह जानना चाहती थी कि क्या आरव अब भी उसे याद करता है। कसोल पहुंचकर वह सबसे पहले नदी किनारे गई, जहां उनकी पहली मुलाकात हुई थी। मगर वहां कोई नहीं था।
वह आरव की चाय की दुकान पर गई। वहां आरव का छोटा भाई मिला। उसने बताया कि आरव अब वहां नहीं रहता। कुछ महीने पहले वह शहर चला गया था, शायद अपनी जिंदगी में कुछ नया करने की कोशिश में। मायरा का दिल टूट गया। उसे लगा कि उसने आरव को हमेशा के लिए खो दिया।
कुछ महीनों बाद, मायरा दिल्ली में एक फोटोग्राफी प्रदर्शनी में अपनी तस्वीरें प्रदर्शित कर रही थी। उसकी तस्वीरों में कसोल की वादियां, नदी, और पहाड़ थे। एक कोने में उसने वही तस्वीर रखी थी, जो उसने आरव को दी थी। वह चाहती थी कि अगर आरव कभी आए, तो उसे याद आए कि वे एक-दूसरे के लिए कितने खास थे।
प्रदर्शनी के आखिरी दिन, जब मायरा अपनी तस्वीरें समेट रही थी, एक परिचित आवाज ने उसे पुकारा। "मायरा?"
वह पलटी। सामने आरव खड़ा था। उसकी आंखों में वही चमक थी, मगर चेहरे पर थोड़ी थकान थी। मायरा की आंखें भर आईं। "आरव... तुम?"
दोनों ने घंटों बात की। आरव ने बताया कि वह दिल्ली में एक म्यूजिक स्कूल में पढ़ा रहा है। उसने मायरा के लिए अपनी जिंदगी बदली थी, मगर उसे अब भी लगता था कि वह उसकी दुनिया का हिस्सा नहीं बन सकता। मायरा ने कहा कि उसे अब भी वही प्यार महसूस होता है, जो कसोल में था।
मगर दोनों जानते थे कि उनकी जिंदगी अब बहुत बदल चुकी थी। मायरा का करियर उड़ान भर रहा था, और आरव अपनी नई शुरुआत में खुश था। उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया और वादा किया कि वे हमेशा एक-दूसरे की यादों को संजोएंगे।
अंत
कभी-कभी प्यार की कहानियां पूरी नहीं होतीं। मायरा और आरव की कहानी भी ऐसी ही थी—खूबसूरत, मगर अधूरी। उनकी मुलाकातें, उनकी बातें, और उनकी यादें हमेशा उनके दिलों में रहीं। शायद यही प्यार की सच्चाई है—यह हमेशा पूरा नहीं होता, मगर यह हमेशा जिंदा रहता है, किसी नदी की तरह, जो बहती रहती है, चाहे उसका किनारा बदल जाए।
लेखक: विजय शर्मा एरी
शब्द गणना: 1496