🌌 एपिसोड 36 — “रूह की ख़ामोशियाँ, दिल की गूँज”
(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)
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🌙 1. नीले आसमान का रहस्य
दरभंगा की हवेली के ऊपर आसमान आज कुछ अलग था।
नीली लहरों जैसी रोशनी हवेली के चारों ओर घूम रही थी —
मानो हवेली किसी अनदेखे रहस्य की रक्षा कर रही हो।
रूहाना ने बरामदे से ऊपर देखा।
“अर्जुन जी… ये आसमान ऐसा क्यों है?”
अर्जुन कुछ क्षण चुप रहा, फिर बोला —
> “कभी-कभी आसमान वो सब दिखा देता है,
जो ज़मीन छुपा लेती है…”
रूहाना ने उसकी आँखों में देखा —
वहाँ एक सन्नाटा था, मगर वो सन्नाटा भी मोहब्बत की तरह धड़क रहा था।
हवेली की दीवारों पर अब नीली रोशनी नहीं,
बल्कि धड़कनों के आकार उभरने लगे थे —
हर धड़कन एक लफ्ज़ कहती,
हर लफ्ज़ एक रूह की दास्तान बनता।
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🌕 2. पुरानी दहलीज़ के नीचे
उस रात, हवेली के पुराने हिस्से से एक अजीब सी आहट आई।
लकड़ी की सीढ़ियों के नीचे से कोई धीमी फुसफुसाहट गूँज रही थी —
“रूहों के वादे अधूरे नहीं रहते…”
रूहाना नीचे झुकी,
दीपक की रोशनी में मिट्टी के नीचे से कुछ चमका।
वो एक छोटा सा ताबीज़ था —
जिस पर लिखा था “रुमी ❤️ रूहान”
अर्जुन ने ताबीज़ उठाया,
और जैसे ही उसने उसे छुआ, हवेली की दीवारें हिल उठीं।
सामने की दीवार पर अचानक कोई लिपि उभरी —
> “रूह की स्याही सूखने से पहले, वादा पूरा करो।”
रूहाना ने काँपते स्वर में कहा —
“कौन-सा वादा, अर्जुन जी?”
अर्जुन की आँखें चमक उठीं —
> “वो वादा जो इश्क़ ने रूह से किया था…
कि हर जन्म में मोहब्बत की गवाही ज़रूर छोड़ेंगे।”
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🌘 3. रात की वो अनसुनी आहटें
आधी रात को हवेली के पश्चिमी हिस्से से एक धीमा राग सुनाई दिया।
रूहाना उठी, और बिना कुछ बोले उस आवाज़ के पीछे चल पड़ी।
कमरे में बस एक पुराना शीशा था,
जिसमें अब तीन परछाइयाँ दिख रही थीं —
रुमी, रूहान… और अर्जुन।
रूहाना ने शीशे को छुआ —
अचानक शीशे की सतह पानी जैसी हो गई।
उसके अंदर से किसी ने आवाज़ दी —
> “रूहाना… हमारी कहानी तुमसे पूरी होगी।”
अर्जुन ने उसका हाथ थामा —
“अब ये सिर्फ़ हवेली नहीं रही रूहाना,
ये रूहों का पुल बन चुकी है —
जहाँ अधूरी मोहब्बतें अपने अगले जन्म की राह पाती हैं।”
धीरे-धीरे हवा में नीली स्याही फैल गई —
जैसे कोई अनदेखा लेखक नई कहानी लिख रहा हो।
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🌒 4. वादे की रेखा
सुबह हुई, तो हवेली की दीवारों पर कुछ लिखा था —
“दो रूहें मिलकर तीसरा अध्याय लिखेंगी।”
रूहाना ने हैरानी से देखा —
“क्या ये… हमारी कहानी का अगला अध्याय है?”
अर्जुन मुस्कुराया,
“शायद हाँ… या शायद ये इश्क़ का तरीका है
हमें यह बताने का कि कहानी अभी खत्म नहीं हुई।”
रूहाना ने अपनी डायरी खोली,
नीली स्याही खुद-ब-खुद बहने लगी —
और उसमें लिखा गया —
> “वादे की रेखा मिट नहीं सकती,
चाहे जन्म बदल जाए, रूह अपनी पहचान ढूँढ ही लेती है।”
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🌠 5. रूह और शरीर का संगम
उस शाम हवेली के सामने नीला आसमान खुल गया।
चारों ओर खुशबू थी —
जैसे इश्क़ अब हवाओं में घुल गया हो।
अर्जुन ने रूहाना का हाथ थामा —
“अब अगर रूहें मिल गईं… तो अगला कदम?”
रूहाना ने उसकी ओर झुककर कहा —
> “अब हमारी रूहें एक कहानी नहीं,
बल्कि एक अनंत वादा बन जाएँगी।”
अर्जुन ने उसकी हथेली पर नीली स्याही से लिखा —
“रूह = रूहाना + अर्जुन”
नीला दीया आसमान में उठा,
और हवेली की छत पर हल्की आवाज़ गूँजी —
“इश्क़ फिर से लिखा गया है…”
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💫 एपिसोड 35 — हुक लाइन:
> “जब रूहें मिलती हैं, तो वक्त झुक जाता है —
क्योंकि सच्ची मोहब्बत हमेशा किसी नए जन्म की शुरुआत होती है।” 🌌