Mere Ishq me Shamil Ruhaniyat he - 50 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 50

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 50

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🌌 एपिसोड 50 — “काले लेखक का श्राप”


(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)




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🌙 1. आग की रात में छिपा असली दुश्मन


1856 की वो रात आर्या और अर्जुन के सामने जैसे जिंदा खड़ी थी।

हवेली आग की लपटों में डूबी थी, और ठीक उसी पल—

काली धुंध से एक आकृति पैदा हुई।


वो इंसान नहीं थी।

न पूरी रूह…

न पूरी मौत।


एक काला चेहरा, जिसके ऊपर गहरी स्याही टपक रही थी।

उसके हाथ में टूटी हुई एक पुरानी कलम थी—

कलम जिसे देखकर कल का “काला लेखक” सच हो गया।


आर्या ने उसकी आँखों में झाँका—

वो आँखें…

खाली थीं।

जैसे सदियों से मौत लिखते-लिखते

जीने का मतलब भूल चुकी हों।


काला लेखक फुसफुसाया—


> “कहानी बदली नहीं जाती,

वह एक बार लिखी जाए… तो पत्थर हो जाती है।”




अर्जुन उसे घूरता रहा,

“तुमने अवनी और वीर की मौत लिखी थी…

क्यों?”


काले लेखक की आवाज़ टूटी थी,

मगर उसमें दर्द से ज्यादा ईर्ष्या भरा था—


> “क्योंकि मैं भी लिखता था…

लेकिन किसी ने मेरा लिखा कभी पढ़ा ही नहीं।”




उसने स्याही से भरा हाथ उठाया—


> “अगर मेरी कहानी को अंत न मिला…

तो किसी और की भी नहीं मिलेगा।”




और उसी पल उसकी काली स्याही हवा में फैल गई।



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💫 2. आर्या और अर्जुन कहानी के भीतर फँसे


नीली कलम आर्या के हाथ में काँपने लगी।

आग के बीच, हवा में जलते पन्नों की गंध

और काली स्याही का फैलता ज़हर—

हर चीज़ उन्हें घेरने लगी।


अर्जुन ने आर्या का हाथ पकड़ा,

“हम बाहर नहीं जा सकते…

जब तक कहानी पूरी न हो।”


आर्या बोली—

“तो हमें काले लेखक से पहले

अवनी और वीर का अंत लिखना होगा।”


अर्जुन ने सिर हिलाया,

“और इसके लिए हमें…

अवनी को ढूँढना होगा!”


काले लेखक ने हँसकर कहा—


> “उसे ढूँढ नहीं सकते…

मैंने उसकी रूह को आग में कैद कर रखा है।”




आर्या ने चीखकर कहा—

“मोहब्बत को कैद नहीं किया जा सकता!”


उस क्षण नीली कलम चमक उठी—

और हवा में लकीरों ने नया रास्ता बनाया।



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🌙 3. अवनी की रूह की तलाश


अर्जुन और आर्या उस रास्ते पर दौड़े।

युगों पुरानी आग के बीच

एक पुरानी सीढ़ी दिखाई दी—

जो हवेली के तहखाने की ओर जाती थी।


तहखाना…

जहाँ अवनी की आख़िरी साँस कैद थी।


दीवारें कराहीं,

आग की आवाज़ चीखी,

मगर दोनों नीचे उतरते गए।


तहखाने के बीच

एक नीला प्रकाश बिखरा था,

जिसे देखकर आर्या ने फुसफुसाया—

“यही अवनी की रूह है…”


धुआँ धीरे-धीरे हटने लगा—

और वहाँ

एक लड़की की धुंधली आकृति दिखाई दी।


वो अवनी थी—

आग में फँसी,

डरी हुई,

और अपने वीर को पुकारती—


“वीर… मुझे मत छोड़ो…”


अर्जुन ने कहा—

“अवनी… तुम अकेली नहीं हो।”


अवनी ने काँपते हुए पूछा—

“क्या… मेरा अंत मिल गया?”


आर्या ने मुस्कुराकर कहा—

“अभी नहीं…

लेकिन मिलने ही वाला है।”



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💫 4. काले लेखक का हमला


अचानक तहखाने में वह काली आकृति घुस आई।

उसकी छाया हर दीवार पर फैल गई।

वह गरजा—


> “तुम मेरी सदियों की कहानी बर्बाद नहीं कर सकते!”




उसकी स्याही ने पूरे कमरे को ढक लिया।


अवनी चीख उठी।

अर्जुन को लगा

उसकी साँसें थम रही हैं।


आर्या ने नीली कलम को अपनी छाती से लगाया

फिर एक ही पल में

अर्जुन की हथेली पर रख दी—


“अर्जुन…

इसे पकड़ो!

तुम लिख सकते हो…

कहानी पलट सकते हो!”


काला लेखक हँसा,

“मुझसे तेज़?

तुम?

एक इंसान?”


लेकिन जैसे ही अर्जुन ने कलम पकड़ी—

नीला प्रकाश फूट पड़ा।

पन्ना हवा में आया

और अक्षर अपने आप बनने लगे—


“अवनी की साँस लौट आई…”


काले लेखक ने क्रोध में चीख मारी।



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🌙 5. अवनी और वीर — बदलता इतिहास


अवनी के शरीर में फिर गर्माहट आने लगी।

उसने अपना हाथ अपने दिल पर रखा।

उसकी आँखों में जीवन की चमक लौटी।


उसी पल

सीढ़ियों पर एक छाया उभरी—

एक पुरुष आकृति

जिसकी आँखें अवनी को देखती ही ठहर गईं।


वो वीर था।


अवनी ने फुसफुसाया—

“वीर… तुम आ गए।”


वीर ने उसकी ओर हाथ बढ़ाया।

“इस बार मैं देर से नहीं आया…”


दोनों ने हाथ पकड़े।

और नीली रोशनी में उनकी रूहें

धीरे-धीरे एक हो गईं।


इतिहास पलट चुका था।



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💫 6. काला लेखक की हार — लेकिन एक रहस्य बाकी


काले लेखक की स्याही सिमटने लगी।

वो चीखा—

“मेरी कहानी… मेरी कहानी खत्म मत करो!”


अर्जुन ने कड़ा स्वर में कहा—

“तुमने दूसरों का अंत लिखा,

इसलिए तुम्हारा अंत आज खुद तुम्हारी कलम लिख रही है।”


नीली कलम हवा में उठी

और काले लेखक की टूटी कलम से टकराई।


धमाके की आवाज़ आई—

काली स्याही राख बन गई।

काला लेखक घुटनों पर गिरा…

फिर नीले प्रकाश में विलीन हो गया।


उसकी अंतिम आवाज़ हवा में गूँजी—


> “मैं अंत नहीं हूँ…

मैं लौटूँगा…

किसी नई कहानी में…”




आर्या ने अर्जुन की तरफ देखा—

“क्या ये सच में खत्म हुआ?”


अर्जुन लौटा—

“अभी नहीं।

उसकी रूह पूरी तरह गई नहीं है…

वो सिर्फ़ सोई है।”



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🌙 7. अवनी और वीर की रिहाई


नीली रोशनी चमकी

और अवनी व वीर की रूहें अब शांत थीं।

वे पहली बार मुस्कुरा रहे थे

बिना दर्द,

बिना जख्मों के।


अवनी ने कहा—

“तुमने हमें अंत दिया…

अब हम मुक्त हैं।”


वीर ने अर्जुन के कंधे पर हाथ रखा—

“हवेली अब तुम्हारी है।

इस बार…

कहानी तुम्हारी लिखी जाएगी।”


धीरे-धीरे उनकी रूहें

आकाश में नीले कणों में बदलकर गायब हो गईं।


और हवेली…

पहली बार

सदियों बाद

पूरी तरह जिंदा हो उठी।



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💫 8. हवेली में वापसी — नया अध्याय तैयार


आर्या और अर्जुन वर्तमान में लौट आए।

आग, धुआँ, अतीत—सब गायब।


हवेली शांत थी।

उसकी दीवारें गर्म हो गई थीं।

छत पर नीली लकीरें चमक रही थीं

जैसे शुक्रिया कह रही हों।


हवेली ने बोला—


> “तुमने मेरा पहला जन्म पूरा किया…

अब मैं अपना दूसरा जन्म

तुम्हारी मोहब्बत से शुरू करूँगी।”




नीली कलम टेबल पर रखी थी—

लेकिन इस बार वह हिल नहीं रही थी।

वह शांत थी।

जैसे अब उसकी जरूरत नहीं रही।


आर्या ने अर्जुन से कहा—

“हमने कहानी पूरी कर दी है…

लेकिन हवेली में अभी भी कुछ बाकी है।”


अर्जुन ने पूछा—

“क्या?”


आर्या ने आँगन की फर्श पर उभरते शब्द पढ़े—


> “किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी है।”




अर्जुन ने अविश्वास में पूछा—

“कौन?”


हवेली ने उत्तर दिया—


> “कोई… जो इस कहानी का हिस्सा नहीं था,

पर जिसे इस कहानी में आना ही था।”




दोनों ने डर और जिज्ञासा से दरवाज़े की ओर देखा।


दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला…

और एक आकृति भीतर आई।


चेहरा रोशनी में छिपा था।

पर उसकी आवाज़—

पहचानी

सी…


> “क्या मैं… अंदर आ सकती हूँ?”




आर्या की आँखें फैल गईं।

अर्जुन का दिल रुक-सा गया।


वो थी—

एक नई रूह।

एक नया मोड़।

एक नया अध्याय।


जिसकी किस्मत हवेली से जुड़ने वाली थी।



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🌌 एपिसोड 50 — हुक लाइन


> “अवनी–वीर की कहानी खत्म हुई…

लेकिन हवेली कभी खाली नहीं रहती—

क्योंकि रूहें हमेशा नई कहानियाँ लेकर लौटती हैं।” 💙✨