🌌 एपिसोड 51 — “दरवाज़े पर आई रूह— जिसका नाम लिखा नहीं गया था”
(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)
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🌙 1. वो कौन थी— जिसे कहानी ने बुला लिया?
दरभंगा की हवेली की हवा अचानक बदल गई थी।
नीली कलम शांत होकर टेबल पर पड़ी थी…
पर दरवाज़ा अपने आप खुल रहा था।
हल्की-सी खड़खड़ाहट… हल्की-सी रोशनी… और एक आकृति…
जिसके कदमों के साथ हवेली की दीवारें सांस लेती-सी लगीं।
आर्या ने गहरी साँस खींची।
“अर्जुन… यह रूह हवेली ने खुद बुलायी है।”
अर्जुन उसके पास खड़ा हुआ,
उसकी आँखों की तिरछी चमक बता रही थी
कि वह उस अनजानी उपस्थिति को समझने की कोशिश कर रहा है।
आकृति एक कदम आगे बढ़ी।
उसकी आवाज़—
धुंधली, पर बेहद परिचित।
> “क्या मैं… अंदर आ सकती हूँ?”
हवेली की फर्श पर खुद-ब-खुद अक्षर उभरे—
> “ये घर तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था।”
अर्जुन के भीतर कुछ हिला।
आर्या की हथेली अचानक ठंडी हो गई।
“आप… कौन?” आर्या ने आखिर पूछ ही लिया।
महिला ने धीरे-धीरे रोशनी में अपना चेहरा दिखाया।
उसकी आँखें चमकीली थीं।
जैसे किसी अनकही कहानी का दर्द और चमक साथ लिए हों।
उसके बालों में नीली हवा नाच रही थी।
और उसके माथे पर…
एक हल्की सी स्याही की धब्बा…
अर्जुन के होंठ सूख गए।
“ये… ये तो…”
वह बुदबुदाया—
“काले लेखक की स्याही…?”
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💫 2. रहस्यमयी लड़की — जिसने हवेली का दिल छू लिया
लड़की शांत स्वर में बोली—
“मेरा नाम… अनया है।”
नाम सुनते ही हवेली की रोशनियाँ हल्के से झिलमिलाईं।
जैसे उसे किसी गहरी याद ने छुआ हो।
अनया ने आगे कहा—
“मुझे नहीं पता मैं यहाँ क्यों आई हूँ…
लेकिन कुछ मुझे खींचकर लाया है।
कुछ… जो कहते हैं
मेरी कहानी यहाँ पूरी होगी।”
अर्जुन ने आर्या की तरफ देखा।
दोनों समझ रहे थे—
ये अचानक नहीं था।
हवेली, नीली कलम, अतीत की रूहें—
यह सब किसी बड़े खेल का हिस्सा था।
अर्जुन ने धीरे से पूछा—
“तुम्हें यहाँ आने से पहले क्या याद है?”
अनया ने अपनी आँखें बंद कीं।
कुछ पल हवा थम गई।
फिर उसने कहा—
“बस इतना…
कि काली स्याही मुझे निगल रही थी।
और किसी ने…
मेरा नाम अधूरा छोड़ दिया था।”
आर्या का दिल धक् से बैठ गया।
“अधूरा नाम…?”
अनया ने हाँ में सिर हिलाया।
“हाँ।
मुझे लगता है…
काला लेखक मुझे पूरा नहीं लिख पाया।
इसलिए मैं जीवित भी हूँ…
और रूह भी।”
अर्जुन ने ठंडी साँस छोड़ी।
“मतलब…
तुम उस कहानी की हो
जिसे काला लेखक ने शुरू किया
पर खत्म नहीं कर पाया?”
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🌙 3. हवेली का इशारा — कहानी का नया द्वार
अचानक हवेली की दीवारों पर नीली लकीरें उभरने लगीं।
जैसे हवा में लिखी जा रही हों।
आर्या ने पढ़ा—
> “अनया… लेखक की आख़िरी पंक्ति थी।”
अर्जुन ने काँपती आवाज़ में कहा—
“मतलब…
वह काले लेखक के मरने से ठीक पहले
उसकी अंतिम कहानी थी?”
हवेली ने फिर लिखा—
> “वह कहानी… अधूरी है। और अधूरी कहानियाँ रूहों की तरह भटकती रहती हैं।”
अनया की आँखों में खामोश डर उतर आया।
“क्या यही कारण है कि मैं सांस ले भी सकती हूँ…
और गायब भी हो सकती हूँ?”
उसने अपना हाथ हवा में उठाया।
उसकी उंगलियाँ कुछ पल ठोस रहीं…
फिर धुंध में बदलने लगीं।
आर्या हड़बड़ा गई,
अर्जुन ने तुरंत उसका हाथ थाम लिया।
“रुको!
तुम यहाँ सुरक्षित हो।”
अनया ने नीचे देखा—
जहाँ अर्जुन की उंगलियाँ उसकी कलाई को छू रही थीं
वहाँ उसकी रूह हल्की-सी चमक रही थी।
आर्या के मन में जैसे
कोई पुरानी धुन बज उठी—
“ये मुलाक़ात…
संयोग नहीं है।”
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💫 4. अनया और अर्जुन — एक अजीब सा जुड़ाव
अनया ने अर्जुन की ओर देखा।
कुछ पल उसके चेहरे पर हल्की हैरानी थी।
“जब तुमने मेरा हाथ पकड़ा…
मेरी धुंध वापस ठोस क्यों हो गई?”
अर्जुन को खुद नहीं पता था
लेकिन हवेली जानती थी।
दीवार पर उभरा—
> “अनया का अस्तित्व…
अर्जुन की कहानी से जुड़ चुका है।”
आर्या के भीतर हल्की जलन सी उठी—
बहुत हल्की… जो समझ न आने वाले डर जैसी थी।
अर्जुन ने गहरी साँस ली।
“यानी…
अगर मैं इसके पास रहूँ
तो यह गायब नहीं होगी?”
हवेली ने जवाब दिया—
> “हाँ। पर अगर तुम दूर गए…
तो ये फिर धुंध बन जाएगी।”
अनया की आँखें भर आईं।
“मतलब…
मैं अकेले अस्तित्व में ही नहीं रह सकती…”
उसकी आवाज़ टूट गई।
आर्या अनया के पास आई
और उसके कंधे पर हाथ रखा।
“तुम अकेली नहीं हो।
हम यहाँ हैं।
हवेली यहाँ है।
और तुम्हारी कहानी भी।”
कुछ ही पल में
अनया का चेहरा थोड़ा शांत हुआ।
लेकिन उसके भीतर का डर…
अभी भी छिपा बैठा था।
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🌙 5. काले लेखक की छोड़ी हुई चेतावनी
टेबल पर रखी नीली कलम
अचानक ज़मीन पर गिर पड़ी।
उसके गिरते ही
फर्श पर काली स्याही का एक शब्द उभरा—
> “सावधान।”
अर्जुन झटके से आगे बढ़ा।
“अब क्या नया खतरा आने वाला है?”
हवेली ने शब्द लिखे—
> “काला लेखक गया नहीं है। उसने अपनी एक कहानी पीछे छोड़ दी है— जो अब अनया के माध्यम से जिंदा हो रही है।”
अनया ने घबराकर कहा—
“मतलब…
मैं उसकी छाया हूँ?”
आर्या ने तुरंत कहा—
“नहीं!
तुम उसकी कहानी हो—
पर उसकी छाया नहीं।”
हवेली ने फिर लिखा—
> “अधूरी कहानी डरावनी होती है।
पर पूरी की जाए…
तो दुनिया बदल देती है।”
अर्जुन ने गंभीर स्वर में कहा—
“इसका मतलब…
अनया को अपनी कहानी का अंत
खुद लिखना होगा?”
नीली कलम हल्की चमक उठी।
जवाब “हाँ” था।
लेकिन…
अनया ने धीरे से पूछा—
“अगर मैं अपनी कहानी पूरी करूँ…
तो क्या मैं रूह बन जाऊँगी
या इंसान?”
यह सवाल हवा में लटक गया।
आर्या ने अर्जुन की तरफ देखा—
अर्जुन ने हवेली की दीवार की तरफ।
पर कोई उत्तर नहीं आया।
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💫 6. हवेली का रहस्य — जिसे अनया ने पहली रात ही देख लिया
रात गहराती जा रही थी।
असमंजस, रहस्य और अनजाने डर के बीच
तीनों ड्रॉइंग रूम में बैठे थे।
अचानक अनया की नज़र
सीढ़ियों के कोने पर टिक गई।
वहाँ…
एक पुराना दर्पण था।
दर्पण में
अनया की छवि नहीं थी।
उसने धीरे से कहा—
“आर्या… अर्जुन…
ये दर्पण…
मुझे नहीं दिखा रहा।”
अर्जुन उस ओर भागा।
दर्पण में उसकी और आर्या की परछाईं साफ थी।
लेकिन अनया—
कुछ नहीं।
“ये… ये क्या है?” अनया घबराई।
हवेली की दीवार पर अक्षर उभरे—
> “जिस कहानी का अंत नहीं लिखा जाता… वह तस्वीरों में नहीं दिखती।”
अनया की आँखें भर आईं।
“मतलब…
मैं अधूरी हूँ।”
आर्या ने उसका हाथ थामा।
“और हम तुम्हें पूरा करेंगे।”
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🌙 7. तूफ़ान से पहले की दस्तक
जैसे ही उन्होंने अनया को शांत किया,
हवेली का मुख्य दरवाज़ा
एक बार फिर खुद-ब-खुद खुला।
तेज हवा अंदर घुसी।
नीली कलम कांप उठी।
दरवाज़े के बाहर
काली धुंध का एक छोटा-सा गोला
धीरे-धीरे जमीन पर घूम रहा था।
अर्जुन ने कहा—
“ये… काले लेखक की स्याही है।”
अनया पीछे हट गई।
काली धुंध फुसफुसाई—
> “अंत… मेरा होगा।”
आर्या ने तेज़ आवाज़ में कहा—
“नहीं!
इस बार अंत किसी की रूह का नहीं—
बल्कि कहानी का होगा!”
काली धुंध हँस पड़ी।
एक बेहद ठंडी, डरावनी हँसी।
फिर उसने कहा—
> “अधूरी कहानी…
कभी
सुरक्षित नहीं होती।”
और वो हवा में ग़ायब हो गई।
अनया काँप गई।
अर्जुन ने तुरंत उसे संभाल लिया।
आर्या ने गहरी साँस ले कर कहा—
“अब बहुत हो गया।
अगले एपिसोड में
हम इसकी कहानी शुरू करेंगे—
और खत्म भी।”
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🌌 एपिसोड 51 — हुक लाइन
> “अनया आई नहीं… उसे बुलाया गया था—
क्योंकि हवेली जानती थी,
सबसे खतरनाक कहानी वही होती है…
जिसका लेखक मर चुका हो,
और अंत अभी लिखा न गया हो।” 💙🔥