Adakaar - 64 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 64

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अदाकारा - 64

*अदाकारा 64

 
   हरीश बेहराम को उस कस्टडी में ले आया जहाँ सुनील को रखा हुआ था।कस्टडी का दरवाज़ा खोलते हुए हरीशने कहा।
 
"इंस्पेक्टर साहबने तुम्हें पाँच मिनट दिए हैं तुम ईनसे पांच मिनट बात कर सकते हो।"
 
"सुनीलभाई।ये क्या हो गया?"
 
पुलिस कस्टडी में घुसते हुए बेहरामने धीरे से सुनील का हाथ अपने हाथों में लिया और हमदर्दी भरे स्वर मे सुनील से पूछा।
 
"मैं बेगुनाह हूँ बेहराम भाई।मैंने शर्मिला को नहीं मारा।"
 
सुनील ने अपने बचाव में कहा।
 
   लेकिन सुनील की बातें अनसुनी करते हुए बेहरामने अपना चेहरा हथेलियों में छिपा लिया और वो रोने लगा।बेहराम को अचानक इस तरह बिलख बिलख कर रोता देख सुनील हैरान रह गया।
उसने कहा।
 
"मैं..मैं सच कह रहा हूँ बेहराम भाई..."
 
  बेहरामने सुनील को बीच में ही रोक दिया और रोते रोते बोला।
 
"मुझे पता है सुनील कि तुमने यह मर्डर नहीं किया है....लेकिन…लेकिन तुम्हें यह भी नहीं पता कि जिसका मर्डर हुआ है वह शर्मिला नहीं है….."
 
वह आगे कुछ नहीं बोल पा रहा था।उसे ऐसे अटका देखकर सुनील ने पूछा।
 
"लेकिन क्या?"
 
"जिसका मर्डर हुआ है वह मेरी बहन उर्मिला है…."
 
बेहराम ने बताया।
 
"क्या…आ..आ।"
 
सुनील हैरान रह गया।वह बड़ी-बड़ी आँखों से बेहराम को घूरने लगा था।
 
     उसे याद आने लगा के उर्मिला बनी हुई शर्मिला ने उसे वह ड्रेस दिखाई थी जो वह इनफिनिटी मॉल से लाई थी।
उसे पूरा यकीन था कि उर्मि ऐसी ड्रेस कभी नहीं पहनती थी ओर पहनने की सोच भी नहीं सकती थी। 
तो उसने कन्फ्यूज होकर पूछा था।
 
"तुम इस ड्रेस में कैसी लगोगी?"
 
और शर्मिलाने उसके पूछे सवाल का जवाब इस तरह से दिया था।
 
"कैसी लगोगी मतलब?तुम समझते क्या हो? हीरोइन जैसी लगूंगी।"
 
मैंने उसे तब क्यों नहीं पहचाना?यह सोच कर सुनील की आँखों से आँसू बहने लगे।
 
"उर्मि का मर्डर शर्मिला के घर में हुआ है।और शर्मिला उर्मिला बनकर मेरे घर आई थी। इसका मतलब है कि उर्मि के मर्डर में शर्मिला का हाथ पक्का है।मैं..मैं उस साली को नहीं छोड़ूंगा।"
 
सुनीलने दांत पीसते हुए कहा।
 
"लेकिन वह सब करने के लिए तुम्हें सब से पहले यहां से निकलना होगा ना सुनील।"
 
बेहराम असमंजस मे बोला।
 
"वे मेरे ही घर में।मुझे अपने ही मर्डर के लिए फंसाकर मजे कर रही हैं।तुम्हारा स्कूटर कहां है बेहरामभाई?"
 
"गेट के पास पार्क की है।"
 
"लाओ चाबी मुझे दे दो।"
 
"तुम..तुम क्या करने वाले हो?"
 
बेहरामने चाबी देते हुए घबराई हुई आवाज में पूछा। 
तभी कांस्टेबल हरीश बोला।
 
"चलो भाई।पांच मिनट के बजाय सात मिनट हो गए हैं।"
 
सुनील ने स्कूटर की चाबी मुट्ठी में भींची और अपनी स्फूर्ति दिखाई।उसने बेहराम को एक झटके मे कस्टडी के कोने में धकेल दिया। और वह कस्टडी से बाहर कूदा।इससे पहले कि कांस्टेबल हरीश कुछ समझ पाता और कुछ कर पाता उसने हरीश को भी कस्टडी में धकेल दिया।हरीश जाकर बेहराम पर जा गिरा कस्टडी को बाहर से लॉक करके सुनील गेट की तरफ भागा। 
पूरे पुलिस स्टेशन में।
 
"पकड़ो, पकड़ो।"
की आवाज़ गूंजने लगी।
 
सुनील ने बेहराम का स्कूटर स्टार्ट किया और अपने घर की तरफ दौड़ा दिया।
 
  वह जानता था कि पुलिस की कस्टडी से इस तरह भागना उसके लिए जानलेवा हो सकता है।लेकिन अभी उसके दिमाग में खून सवार था। 
मेरे साथ जो भी होना हो भले ही हो लेकिन मेरी उर्मी को कत्ल करवाने वाली शर्मिला को तो में ज़िंदा नहीं छोड़ूंगा।
 
जिस आदमी ने उर्मिला का मर्डर करवाया था उसने बाहर से की होल में चाबी डालकर पहले तो लॉक खोल ही दिया था।और इससे पहले कि वह दरवाजे को धक्का दे पाता शर्मिला ने दौड़कर दरवाज़े पर स्टॉपर लगा दि जिसके कारण वह आदमी ओर भी गुस्से हो गया। और चिल्लाया।
 
"दरवाज़ा खोलो।"
 
लेकिन शर्मिला मूर्ख तो थी नहीं कि खूनी के कहने पर खुद चलकर मरने के लिए दरवाज़ा खोल दे। 
वह अंदर काफी से डरी हुई थी।उसे पता था कि यह कातिल किसी ना किसी तरह ज़रूर भीतर आ ही जाएगा और फिर…? 
ये सोच कर वह कांप उठी।वह उर्मिला के दो बेडरूम वाले फ्लैट में एक ऐसा कोना ढूंढने लगी जहाँ वह खुद को सुरक्षित रख सके।
 
   कातिल को लगा कि अब दरवाज़ा तोड़ने के अलावा दूसरा कोई रास्ता उसके पास नहीं है।तो उसने पूरी ताकत से दरवाज़े पर लात मारी।लात के पड़ते ही दरवाज़ा ज़ोर से हिल गया।
उसने उसी तरह दूसरा वार किया।तो इस बार ऊपर लगी स्टॉपर आधी नीचे सरक गई।और फिर उसने तीसरा वार किया और स्टॉपर पूरी तरह से नीचे आ गई।दरवाज़ा धमाके के साथ खुल गया।
 
(उर्मिला का फ्लैट बहुत बड़ा नहीं था।शर्मिला उस दो बेडरूम वाले फ्लैट में कब तक खुद को छिपा सकती थी?क्या होगा शर्मिला का?)