उसके जाने के बाद कामिनी बाथरूम में घुस गई। कल रात से अब तक कई गुना बढ़ चुकी बेचैनी आंखों के रास्ते बाहर निकल पड़ने को हुई जिसे उसने रोकने की कोशिश भी नहीं की और उसे शावर के साथ बहा दिया। मन तो उसका बुक्का फाड़कर रोने का हो रहा था लेकिन कहीं आवाज बाहर न चली जाए। इतने लंबे समय से अपने अंदर जतन से छुपाई इस बेचैनी को सबके सामने खासकर बच्चों के सामने आ जाने की शर्म ने उसे कुशल अभिनेत्री बना दिया था। बच्चे क्या वह तो मुकुल के सामने भी सामान्य रहने की ही कोशिश करती है। अभी तो वह खुद ही इस बदलाव के कारण को नहीं समझ पाई है, और न ही समझ पा रही है कि इसका सामना कैसे करें ?