अपना "वजूद" बनाने का सारा "समय" जिन "रिश्तों" को "सहेजने" में देते आए जीवन भर,,,,,
आज जिन्दगी में जरा कदम लड़खड़ाए क्या हमारे कि वही "रिश्ते" सबसे पहले आए कहने,,,,
कि,,,
'जरा कुछ बन जाते,, कुछ कर जाते जिन्दगी में अपनी, कुछ कभी किया क्यूँ नहीं,,,,
अरे,,,,, तुम्हारे पास तो समय ही समय था!!!
-K Bhardwaj RANU