राहों की कटनाइया पार करकर निकला था वो कभी , ऊचायों तक तो पंहुचा था पर मंजिल की उड़ान तक नही , मां की आखों का सुकून था वो तो बहनों की ढाल कभी , किरदार निभाना खूब आता था उन्हे कही यह भी किरदार तो नही , अभी तो उड़ान के पंख ओढ़े थे पर अब ये कफन की चादर ही सही /
-Chaksi

Hindi Quotes by Chaksi : 111747369

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