तुम सच में नहीं हो.. यह दिन में कई बार दोहराती हूँ। तुम्हारे ना होने के सच को स्वीकार नहीं कर पा रही हूँ, इसलिए रट रही हूँ। कहते हैं की एक ही बात को बार-बार कहा जाए तो दिल उसे सच मान लेता है।
रात में नींद नहीं आना या कहीं खोया रहना यह सब बातें बड़ी आम हो गई हैं। कुछ नया है तो बस इतना कि मुझे पता ही नहीं होता मेरी आँखों में आँसू है। अजीब है ना मुझे यही नहीं पता कि मेरी आँखें भरी हुई हैं।
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कल की ही बात है.. थाली लगा कर खाना खाने बैठी तो करीब एक घण्टे तक रोटी के कौर को थाली में इधर से उधर घुमाती रही। फिर अचानक ख़्याल आया की मुझे खाना भी था।
ऐसी बहुत सी बातें हैं जो अब रोजाना होती हैं।
मैं बोलते-बोलते यह भी भूल जाती हूँ कि मुझे बोलना क्या है या जो बोल रही हूँ वो क्यों बोल रही हूँ।
भूलने लगी हूँ या खुद को खोने लगी हूँ समझ नहीं आता।
वैसे खुद को कैसे खोया जाता है?
यह अगर तुम्हें पता हो तो मुझे ज़रूर बताना। शायद फिर मेरे लिए खुद को वापस पा लेना आसान हो जाए।
अजीब बात यह है की यह सब जो मैंने लिखा है मुझे इसका अर्थ नहीं पता। यह सब पढ़ने पर मुझे बड़ा बेतुका सा लग रहा है। यह सब क्यों लिखा यह भी नहीं पता।
नहीं! मैं पागल नहीं हूँ बस बेचैन हूँ।

पता है क्या..
रॉकस्टार मूवी में रणवीर कपूर का किरदार 'जनार्दन जाखर' अच्छा सिंगर बनने की चाहत में अपना दिल तुड़वाना चाहता था। यह मूवी देख मज़ाक-मज़ाक में मुझे भी लगा की अच्छा राइटर बनने के लिए ज़रूरी है कि मेरा दिल टूट जाए।
मगर जब पहली बार दिल टूटा तो बहुत तक़लीफ़ हुई बहुत ज़्यादा, थोड़ी बदल गई हूँ मैं शायद और लिखना तो दूर सोचना समझना ही ख़त्म सा हो गया है।
मेरी पसंद-नापसंद एक जैसी हो गई है।
थोड़ा रूखा और थोड़ा अनमना सा व्यवहार हो गया है।
खुशी की बात पर भी खुशी महसूस नहीं होती और हंसना/मुस्कुराना बस औपचारिकता बन गए हैं।

फिर जब एक बार और दिल टूटा तो कुछ महसूस नहीं हुआ। दर्द, तक़लीफ़, बेचैनी, आँसू सब हैं।
मगर कुछ कमी सी लगती है, यह सब महसूस नहीं होते।
यह कैसे सम्भव है कि घाव हो, खून बहे मगर दर्द ना हो।
क्या शरीर के किसी अंग की तरह ही मेरी आत्मा सुन्न हो गई है..?
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आईने पर दिख रही स्वयं की छवि को छूकर यकीन दिलाती हूँ कि "मैं ज़िंदा हूँ"।
मुझे महसूस ही नहीं होता मेरा होना और सबसे अजीब बात यह है कि 'मैं' मेरे यूँ ना होने पर, हुई मेरी कमी को किसी और से पूरा करना चाहती हूँ।
मैं अन्य किसी से मेरी कमी को भरना चाहती हूँ।
-रूपकीबातें
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