जिंदगी हमेशा रुलाती क्यों है ?
ऐसा नहीं की हंसाती नहीं,
पर जितना हंसाती है,
उससे तो कहीं ज्यादा रुला देती है।
फिर ऐसी हंसी का मतलब हीं क्या है?
अगर रोना ही है, तो मुस्कुराने का मतलब क्या है?
कई सवाल है ज़हन में,
पर हर सवाल का जवाब मिल जाये, तो फिर जिंदगी, जिंदगी क्यों है ?
जिंदगी का मतलब एक सफर है, जिसमें दो पल खुशी,
पर हर पल गम है ।
पर चलना तो जरूरी है,
क्योंकि रुक गये तो सिर्फ मौत है।
और जिंदगी के दुःखों को हम कितना ही ना पसंद कर ले,
पर मौत को कभी पसंद नहीं कर पायेंगे |
तो जैसी मिली है वैसी जिंदगी जिते है।
हर कदम पर गम है तो क्या हुआ
दूसरे पल जो खुशी मिलेगी,
उस खुशी का पिछा करते हैं।
जिंदगी को थोड़ा और मजे से जिते हैं।