क्यू बहु को नही समझते लोग
जैसी अपनी बेटी का दर्द बिना कहे जान लेते है
वैसे किसी और की बेटी का क्यू नही देख पाते
बेटी की खुशियों के लिए दुआ कर ने वाले
बहु की खुशियां क्यू सह नहीं पाते है
बहु कितना भी करले प्रयास उनको खुश रखने की
फिर भी वो क्यू कुछ न कुछ कमीया ही निकालते है।
बेटी कुछ भी कह ले अच्छी ही लगती है
तो क्यू बहु की छोटिसी लगती भी इतनी चुभती है
क्या गुनाह किया है ऐसा बहुओ ने जो ये सजा मिलती है
अपने घर में भी कभी उसको खुशी नहीं मिलती है।