ना मायके की होती है, ना ससुराल की होती है!
बेटी दुनिया के लिये सिर्फ परायी होती है।
जिस घर आँगन में खेली, उससे सिर्फ उसकी बिदायी होती है ।
एक बेटी तो सिर्फ परायी होती है ।
बचपन से उसे ये जता दिया जाता है, उसके पराये होने का कारण उसे बता दिया जाता है।
तुम हो पराया धन उसे हर पल ये बात समझा दी जाती है ।
क्योंकि एक बेटी तो सिर्फ परायी होती है।
एक रस्म, एक परम्परा के नाम पर, उसके सारे अधिकार छीन लिये जाते हैं।
जिस मोहल्ले की गलियों में वो खेल कर बढ़ी हुई,
एक रस्म के नाम पर उसे उन सब से बेगाना कर दिया जाता है।
क्योंकि एक बेटी तो सिर्फ परायी होती है।
दिल में दर्द, आँखों में आंसू देकर उसे बीदा कर दिया जाता है ।
हर जन्म के रिश्ते से अलविदा कह दिया जाता है।
क्योंकि एक बेटी तो सिर्फ परायी होती है।
हर छुटा हुआ रिश्ता उसे ये अहसास दिलाता है,
जिंदगी के इस सफर को उसे अनजान रिश्तो के साथ आगे बढ़ाना है।
इन उलझे और अनसुलझे रिश्तों में बंधे रह जाना है।
क्योंकि वो एक बेटी है, और बेटी तो सिर्फ परायी होती है।
उसका ना कोई हक ना अधिकार होता है।
थमा दी जाती है उसके हाथ में जिम्मेदारियों की चाबी,
जिसे जिंदगी भर उसे ही निभाना होता है,
क्योंकि एक बेटी तो सिर्फ पराया धन होती है।
मायके में उसके कुछ कहने पर पाबंदी होती है,
ससुराल मे उनसे कुछ पूछा नहीं जाता है।
क्योंकि एक बेटी की अपनी कोई राय नही होती है,
वो तो सिर्फ परायी होती है।
कहने को वो दो घर का मान होती है,
पर उसकी अपनी कोई पहचान नहीं होती है।
क्योंकि वो तो हर घर में ही परायी होती है।
एक बेटी दुनिया के लिये सिर्फ परायी होती है।
#HappyHoli