क्या समझोगी तुम, मेरी मुहब्बत को।
किस तरह, इन हवाओं से बचा रखा है।।
#पीड़ा_मन_की
#तृप्ती_अंतस_की
#दर्पणकासच
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111800166

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