प्रथम दृष्टया देखने मे आपको ये भगवान नृसिंह की एक #प्राचीन प्रतिमा भर दिखेगी, गहराई से देखने पर आपको दिखेगा- इसे बनाने में लगने वाला वर्षों का परिश्रम, #आर्किटेक्चर का अद्भुत ज्ञान, गजब का धैर्य, महानतम प्राचीन तकनीक का प्रयोग, और फिर आपका सर श्रद्धा से नतमस्तक हो जाएगा हमारे उन महान पूर्वजो के प्रति जिन्होंने इसका निर्माण किया है।
ज़रा भगवान के चेहरे के भाव तो देखिए, एक एक एक्सप्रेशन पर कितना बारीकी से काम किया गया है। सोचिए, कितना ज्ञान और क्या ही गज़ब का धैर्य होगा उनके पास। छेनी पर हथौड़े की एक गलत चोट, और महीनों का परिश्रम व्यर्थ...
भगवान नृसिंह की ये प्रतिमा 3200 वर्ष पुरानी है जो पूर्व के #मेसोपोटामिया और वर्तमान इराक में तुर्की-सीरिया बॉर्डर के नजदीक "टिगरिस (यूफ्रेटस)" शहर में खुदाई के दौरान मिली थी। हम यूँ ही नही कहते कि सिर्फ #अयोध्या में ही नही विश्व के कही भी खुदाई कर लो, हर जगह से सिर्फ सनातन ही मिलेगा। जब कही पे भी कुछ भी नही था तब यत्र तत्र सर्वत्र में सिर्फ #सनातन ही था।
गर्व कीजिए अपने आप पर की आप विश्व की सबसे महान #सभ्यता के वाहक है।
#प्राचीन_सनातन_आर्किटेक्चर
-મહેશ ઠાકર