टूट जाते हैं हर बार उन्हें मनाने में,
छूट जाते हैं रिश्ते कई रिश्ते निभाने में।
थी खैरियत इतनी ही कि जैसे-तैसे जी रहे थे हम
ये तसल्ली! भी न देखी गई मन! उनसे.....,
तकलीफ़ पहले ही क्या कम थे, जो लगी और बढाने में।
#रुखसती
#जिंदगी_है_कैसी_ये_पहेली
#जीनेदो
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111817551

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