ए खुदा यह तस्कीन है मुझे
कि तूने मुझे फजीलत दी
और इस जिंदगी से मैं रूबरू हुई
अब ना ही कोई शिकायत है मुझे तुझसे
मेरे बखत में बस इतना सा ही उसका साथ था
पर यह उम्र गुजर जाएगी उसकी यादों के सहारे
ए खुदा यह तस्कीन है मुझे
कि तूने मुझे फजीलत दी
और इस जिंदगी से मैं रूबरू हुई
अब बस शब -ओ-रोज़ तेरा ही जिक्र होता है इस जुबां पर
ना कोई शिकवा न किसी से शिकायत
मेरी दरकार बस तेरा ही दीदार है
हर जर्रे जर्रे में बस तेरा ही नाम है
ए खुदा यह तस्कीन है मुझे
तस्कीन- संतुष्टि
फजीलत-श्रेष्ठता
बखत-भाग्य
शब-ओ-रोज़ - पूरा दिन
दरकार -जरूरत
-Bindu _Anurag