गज़ल
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शौके जुनू का हाल क्या है कुछ न पूछिए,
ये बेवजह सवाल क्या है कुछ न पूछिए |
हम सागरों में डूबकर तिनके बटोरते ,
इस काम का मलाल क्या है ,कुछ न पूछिए |
दोतरफ़ा ज़िंदगी का कोई रास्ता मिले ,
पागल हुए हो हाल क्या है ,कुछ न पूछिए |
बहकी सी भीड़ में कहीं पागल न जाऊ मैं,
आईना बेमिसाल क्या है,कुछ न पूछिए |
लाशों के शहर में चली हूँ रस्म निभाने ,
जिंदा हूँ मैं ?ख्याल क्या है कुछ न पूछिए ||
डॉ. प्रणव भारती