आज उस गली से गुजर रही थी मैं
जिस गली में पहले कभी मिला करती थी उसे
पहले कभी हलचल रहा करती थी वहां,
अब जैसे सुनसान सी रहती है,.... मानो जैसे कोई रहता ही नहीं है वहां ...!!
मिलकर कुछ वक़्त बांटना चाहती थी, कुछ बातें और मीठी यादें बनना चाहती थी.
उसके न मिलने पर न जाने ये कैसा शोर है.
जो न ही बांटा जा सकता है और न ही साँझा किया जा सकता, बस
जो दर्द बन कर बाहर आना चाहता है l🥀🪶
~सोनाली रावत