माँ

क्या अफसाना लिखू उस माँ का जिसने खुद मुझे लिखा है, जिसने मेरे जन्म लेते ही मोहब्बत का सिर ताज रख दिया, हाँ वो कोख मेरी माँ की ही हैं जहाँ मुझे जन्नत सा सुकुन मिलता है,

कायल हम नहीं सारा जाहान करता,

वो माँ ही है जिसे सलाम हम नहीं सारा जाहान करता है,

वो दामन मेरी माँ का ही है जो सारे दुख दर्द भुला देता है,
सारे गमहों को रुला देता है,
हां मां.... तेरे आफताब की रोशनी

से ही तो तेरा ये चिराग जगमगाता है,

दर्द ना जाने उसने कितना सहा होगा,

गर्भ में जिसके मैं नौ माह रहा होगा,

पहली नजर का पहला प्यार सिर्फ उस मां ने ही किया होगा,

जब जन्म उन्होंने दिया मुझे ,

हाँ....इस गुमनाम दुनिया में उस

माँ... ने ही तो नाम दिया है मुझे

(कौशल्या भाटिया)
Happy mother's day all of mothers

Hindi Poem by Kaushalya : 111875570

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