आतंकवाद
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समाज और देश दुनिया के लिए
आज आतंकवाद नासूर बन गया है,
संमूची दुनिया के लिए एक पहेली जैसा हो गया है।
जितना इससे बचने का प्रयास हो रहा है
आतंकवाद नित नये रुप में अवतरित होता है,
अधिसंख्य दुनिया इससे हैरान परेशान हैं
जन धन का नुक़सान सह रही है
अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा इसकी भेंट चढ़ रहा है
अनेक देशों का सुख चैन दिवास्वप्न सा हो गया है
आज आतंकवाद वैश्विक समस्या बन गई है
राष्ट्र ही नहीं समाज में भी दरार डाल रही है।
समूची दुनिया को मिलकर इससे लड़ने की जरूरत है
आतंकवाद के समूलनाश के लिए
मनभेद मतभेद मिटाकर
सबको साथ आने की जरूरत है
तभी आतंकवाद से छुटकारा मिल सकता है
और धरा से आतंकवाद मिट सकता है,
शांति का नया वातावरण बन सकता है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111877072

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