क्या तारीफ करू उसके हुस्न की,

आंखो से मेह और जहरीले लबों की,

जुल्फ चूम लेती है रुखसार को उसकी,

अदाएं कहूं,नजाकत कहूं,या बात करू
कयामत की,,

गुमनाम शायर

Hindi Shayri by गुमनाम शायर : 111929142
गुमनाम शायर 2 weeks ago

धन्यवाद सिस्टर

Anju Kumari 2 weeks ago

आज तो किसी और के कमेंट की जरूरत ही नही गुमनाम जी😁

RACHNA ROY 2 weeks ago

आप बहुत ही अच्छा लिखते हैं। दिल खुश हो जाता है गुमनाम जी

The best sellers write on Matrubharti, do you?

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