मैं और मेरे अह्सास

आम से खास होने में सालों लग जाते हैं l
खास से आम होने में एक पल लगता है ll

जो चीज़ दिखती है वैसी होती नहीं है l
जो है उससे वो उल्टा ही दिखता है ll

मिलते रहो प्यार और मुहब्बत से तो l
सिर पर ताज़ बनकर वो सजता है ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111929253

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