**ग़ज़ल: "तेरे ख़याल में"**
तेरे ख़याल में जब भी डूब जाने को दिल करे,
हम अपने आप से चुपके छुपाने को दिल करे।
चली थी शाम तेरी याद की लिपट के मुझे,
उसी तरह तुझे फिर से बुलाने को दिल करे।
तेरी निगाह में जो लम्हे ठहर गए थे कभी,
उन्हीं फ़िज़ाओं में ख़्वाब सजाने को दिल करे।
तू पास हो के भी कुछ दूर-दूर सा क्यूँ लगे,
तेरे बदन को फिर से छू जाने को दिल करे।
तेरे बिना जो उदासी है मेरे लब पे ठहर,
उसे तिरी हँसी से मिटाने को दिल करे।
जो तेरा नाम लबों पे आए ख़ुद-ब-ख़ुद,
हर एक साँस तुझमें समाने को दिल करे।
तेरे सिवा न कोई सिलसिला चले अब तो,
हर दुआ में तुझे ही माँगने को दिल करे।
तेरी गली में सजे चाँद जैसे ख़्वाब कई,
हर एक पल वहीं लौट जाने को दिल करे।
तू जो मिले तो ये मौसम भी गा उठे शायद,
तेरी हथेली पे अपना नाम लिखाने को दिल करे।
छुपा रखे हैं जो जज़्बात आँखों की तह में,
तेरे सामने सब कह जाने को दिल करे।
सुहेल अंसारी (सनम)
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