**ग़ज़ल: तुझसे मिलकर कुछ और रहा ना**
तेरे चेहरे की रौशनी में, मेरा सारा जहां डूब गया,
तेरी बातों के जादू से, दिल हर दफ़ा खूब गया।
तेरे क़दमों की आहट सुनते ही धड़कन थम जाती है,
सन्नाटा भी तुझसे मिलकर शोर बन के झूम गया।
तेरी आँखों में जो देखा, वो हर सपना सच्चा लगा,
तू जो हँसी एक बार तो, मौसम पूरा झूम गया।
तेरे जाने की दस्तक ने दिल को जैसे तोड़ दिया,
मगर तेरी यादों का सावन हर दिन मुझ पर बरस गया।
तू पास नहीं फिर भी तुझसे हर रिश्ता जुड़ता जाता है,
हर धड़कन पर तेरा नाम बिना कहे खुद लिपट गया।
चाँद भी तुझसे शर्माए, इतनी ख़ूबसूरत तू है,
तेरे ख़यालों में बैठा मैं हर रात तुझसे मिल गया।
तेरा नाम लब पर आते ही दिल को सुकून मिलता है,
तेरे इश्क़ में जीने वाला, हर ग़म से दूर निकल गया।
वो शाम, वो बातें, वो तेरी मुस्कान नहीं भूली,
जैसे एक कहानी अधूरी, पर हर दिल में बस गया।
तेरी हर ख़ामोशी में इक मीठी सी सदा मिलती है,
बिन कहे जो तू कह जाती है, उससे दिल बहल गया।
तेरे बिना भी जी लेंगे, बस ये झूठ बोल दिया।
दिल से पूछो मेरे ,ये कैसे कह दिया मैने,
धड़ धड़ धधकने लगा बेसाख्ता ये दिल मेरा ।
सुहैल अंसारी(सनम)