शीर्षक: समझाऊ (भाग-2)
बिन तुझको देखे
आराम कहाँ से लाऊँ मैं
बिन बादल
कैसे बरसात कराऊं मैं
बिन देख तुझे
अब ना जी पाउ मैं
रातों मे अब नींद
कहा से लाऊं मैं
ये बाते
ये बाते
अब किसे सुनाऊँ मैं
जो आँखों में है हर पल
उसे कैसे भुलाऊ मैं।
कैसे मैं समझाऊ खुद को।
कैसे यकीं दिलाऊ तुमको।।
अब तू ही बता
कैसे ?
खुद को संभाले हम
क्योंकी
मेरा होश नही ठिकाने
अब,
कैसे मैं समझाऊ खुद को।
कैसे यकीं दिलाऊ तुमको ।।