एक ख्वाहिश है तुमसे मिलने की
एक ख्वाहिश है तुमसे मिलने की,
फिर मिलकर बातें करने की, हाथ
तेरा पकड़ने की और
साथ-साथ चलने की,
एक ख्वाहिश है तुमसे मिलने की
कभी हो ऐसा कि तू आये
जैसे सुकून आये
मेरी धड़कने धड़के तेजी से
बेजान शरीर में रूह आये
फिर पास मेरे ही बैठे तू
कोई और तरफ ना देखे तू मैं
देखूं तेरी आंखों को
और आंखों से हाय इश्क करूं
फिर बात थोड़ी और बढ़ जाए
तू रुक पाए ना घर जाए
माई चुमुन माथा होंथो को
तू बाहों में पिघल जाए
फिर सांझ भी आए ढलने की
उस चांद से बातें करने की
जी भर की चाहत करने की
एक ख्वाहिश है तुमसे मिलने की