इंतज़ार करता रहा मैं किसी का,
पर वो कभी आया नहीं,
प्यार करता था मैं दिल से,
मगर उसे बताया नहीं।
मौत की ख्वाहिश थी हर रोज़,
पर आज तक मर पाया नहीं,
मैं कायर था शायद,
इसलिए अपना दर्द दिखा न सका कहीं।
चुपचाप हर लम्हा काटा मैंने,
हर आह को मुस्कान में छुपा लिया,
लोग पूछते रहे, "खुश हो न?"
मैंने हर बार झूठ को हँस के जिया।