"ए जोड़ियां रब बनादा ए"
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ए प्रीत पराई क्यों लगाई,
दुनिया देंधि रही दुहाई,
ना तू सुनिया ना मैं सुनिया,
हुन की होया हरजाई।
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ए जोड़िया रब बनाना ए,
फिर धरती उते मिलन्दा ए,
ए खेल सिर्फ ओने खेले ने,
बस चार दिना दे मेले ने।
फिर हो जानी जिंदगी दी रात,
मेरी-तेरी किथे होनी मुलाकात,
आ गल लग मिल लह सजना वे,
हुन पता नी किस जन्म मिलना ए।
ए संसार ता सिर्फ एक सपना ए,
इथे कोई ना साड़ा अपना ए,
ए मतलब दी दुनियादारी ए,
इथे का दी लानी यारी ए।
हुन मेरी इको इक आस भी तू,
चार दिना दा साथ भी तू,
बस एहो ज़िन्दगी दिया कहानियाँ ने,
फिर मेरिया- तेरियां यादा रह जानिए ने।
इस संसार तू इक दिन जाना ए,
पता नी रब ने फिर सानू,
मिलना ए, कि नी मिलाना ए,
फिर ना मिले ता टूट जागे,
स्वरगा दी हवा ते छुप जागे।
~हरीश कुमार