“हर मुस्कुराता चेहरा स्वस्थ मन का प्रतीक नहीं होता…”
हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ व्यक्ति की बातों से ज़्यादा उसके लहज़े और हाव-भाव पर ध्यान दिया जाता है।
लेकिन सच ये है कि इंसान के विचार ही उसकी मानसिक स्थिति तय करते हैं — न कि उसकी मुस्कान या परिधान।
कई बार जो व्यक्ति बाहर से बेहद शालीन, परिपक्व और आकर्षक लगता है,
वह अंदर से स्वार्थ, द्वेष या गहराई तक बिखराव से भरा हो सकता है।
हर विनम्रता के पीछे अच्छाई नहीं होती और हर तीखी बात के पीछे क्रूरता नहीं।
जो असली होता है, वो दिखावे में यकीन नहीं करता।
वो अपने विचारों की स्पष्टता से पहचाना जाता है, न कि मीठे शब्दों से।
इसलिए जब भी किसी को समझना चाहो, उसके शब्दों से आगे बढ़कर उसके विचारों में झाँको।
क्योंकि वही उसकी सोच की ऊँचाई और मन की गहराई का आईना होते हैं।
दिखावे से मत बहको — विचारों की गहराई को समझो।
यही सोच किसी लेखक को लेखक बनाती है, और इंसान को इंसान।
– धीरेन्द्र सिंह बिष्ट