पेड़ ने आसरा दिया,
कि चिड़िया बना ले उस पर अपना घोंसला।
लेकिन चिड़िया को याद रखना होगा—
पेड़ ने साँप को भी पनाह दी हुई है,
और चढ़ जाते हैं उस पर कभी-कभी बंदर भी।
गिद्धों की नज़र
परिन्दों के आसियाने पर है ही,
और,
यूँ ही चला देता है कोई बचपन
दरख़्त पर पत्थर।
हवाएँ भी ला देती हैं
भूकंप पक्षियों के मकानों में।
फिर भी—
चिड़िया हर बार तिनके जोड़ती है,
क्योंकि जीवन का सच यही है
कि खतरे सदा रहेंगे,
पर उम्मीद का घोंसला
फिर भी बनाना होगा।