मेरा मन नहीं मानता अब, कहीं जाने को अड जाता है
किसी को मैं समझ नहीं आऊं तो, बेमतलब मुझसे लड़ जाता है
और ऐसा नहीं है कि कोई हिसा मेरा ,घर रह जाए रूठकर मुझसे
जहा मेरे हाथ Paon jate hain , वहा मेरा धड़ जाता है
रिस्तेदार मेरी माँ को समझाने की कोशिश करते,
ऐसे मत भेजा करो हर कोई बिगड जाता है
मेरी माँ बस इतना बोले वो कोई जंगल नहीं राजाओं के गढ़ जाता है
मेरी मां जब बोलती बंद कर दे कुछ लोगों की
मेरा हौसला अंदर ही अंदर और बड़ जाता है