कुछ लोगो की आबादी में गया था,
सबकी ख़ुशी थी लेकिन,
मैं अपनी बरबादी में गया था।
और बद से बदतर हाल हुआ मेरा उस दिन,
जब मैं उसकी शादी में गया था।
उसने खुद से, मुझसे शादी में खाने को मना किया था,
मेरे लाख पूछने पर भी, मेरे आने को मना किया था।
और हम तो चल ही देते, पैर से पैर मिलाकर, चाहे जैसा रास्ता हो,
तुम खुद मुकर गए थे जाना,
हमने कौन-सा निभाने को मना किया था।
तुम चाहते तो तुम्हें मैं घर ले आता,
अगर मगर करता, पर ले आता।
तुम्हारे पैर थक जाते पैदल चलकर जो,
तुमको बिठाकर फिर मैं अपने सर ले आता।
लोग जलते देखकर, आखिर हर कोई जलता है,
मेहनत करने वाले लड्डू ले जाते हैं,
बेरोज़गार दोनों हाथ मलता है।
पैर दबाता, पूजा लेता है, लोग ग़ुलाम कहते फिर,
मुस्कुराकर कहता , P.C.,आखिर इतना हक तो बनता है।