एक फूल खिला दिल में, पर किसी को दिखा नहीं,
बातें बहुत हैं कहने को, पर किसी को सुनाई नहीं।
दिल की गहराइयों से निकली एक पुकार,
पर किसी ने सुनी नहीं, और न ही कोई जवाब आया।
मैंने दिल से चाहा था, कि तुम मेरे पास रहो,
पर तुम्हारी चाहत में, मुझे बस इंतजार मिला।
मैंने अपने दिल की बात, कागज़ पर लिखी,
और वह एक शायरी बन गई, जो मेरे दर्द को बयां करती है।
- DINESH KUMAR KEER