स्त्री का सत्य — पुरुष की नकल नहीं, मौलिक गरिमा ✧
आज की दुनिया स्त्री को “समानता” के नाम पर राजनीति, नौकरी, प्रतिस्पर्धा और युद्ध-जैसे पुरुष-निर्मित खेलों में धकेल रही है। यह देखने में प्रगति लगता है, लेकिन वास्तव में यह स्त्री की मौलिकता का अपमान है। शास्त्र और परम्परा हमें एक अलग तस्वीर दिखाते हैं — जहाँ स्त्री की गरिमा पुरुष की नकल में नहीं, बल्कि अपने स्वभाव और मूल गुणों में है।